पुराणों में 51 शक्तिपीठो का वर्णन है। शक्तिपीठों के सन्दर्भ में कथा इस प्रकार है कि सती के पिता राजा प्रजापति दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया था। परन्तु भगवान शिव को इस यज्ञ में शामिल होने के लिए निमन्त्रण नहीं भेजा था। जिससे भगवान शिव इस यज्ञ में शामिल नहीं हुए लेकिन सती जिद्द कर यज्ञ में शामिल होने चली गई, वहां शिव की निन्दा सुनकर वे यज्ञकुण्ड में कूद गईं तब भगवान शिव ने सती के वियोग में सती का शव अपने कंधे पर धारण कर सम्पूर्ण भूमण्डल पर भ्रमण करने लगे। भगवती सती ने अन्तरिक्ष में शिव को दर्शन दिया और उनसे कहा कि जिस-जिस स्थान पर उनके शरीर के खण्ड विभक्त होकर गिरेंगे, वहा महाशक्तिपीठ का उदय होगा। सती का शव लेकर शिव पृथ्वी पर विचरण करते हुए नृत्य भी करने लगे, जिससे पृथ्वी पर प्रलय की स्थिति उत्पन्न होने लगी। इस पर विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को खण्ड-खण्ड करने का विचार किया। जब-जब शिव नृत्य मुद्रा में पैर पटकते, विष्णु अपने चक्र से शरीर का कोई अंग काटकर उसके टुकड़े पृथ्वी पर गिरा देते। इस प्रकार जहां जहां सती के अंग के टुकड़े, वस्त्र या आभूषण गिरे, वहीं शक्तिपीठ का उदय हुआ। हालांकि देवी भागवत में जहां 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का उल्लेख मिलता है, वहीं तन्त्रचूडामणि में 52 शक्तिपीठ बताए गए हैं। देवी पुराण में जरूर 51 शक्तिपीठों की ही चर्चा की गई है। इन 51 शक्तिपीठों में से कुछ विदेश में भी हैं। ज्ञातव्य है कि इन 51 शक्तिपीठों में भारत-विभाजन के बाद 5 और कम हो गए और आज भारत में 42 शक्ति पीठ रह गए है। पाकिस्तान, बांग्लादेश , श्रीलंका, तिब्बत और नेपाल में भी शक्तिपीठ है।
1. किरीट कात्यायनी पश्चिम बंगाल के हुगली नदी के तट लालबाग कोट पर स्थित है| किरीट शक्तिपीठ, जहां सती माता का किरीट यानी शिराभूषण या मुकुट गिरा था। यहां की शक्ति विमला अथवा भुवनेश्वरी तथा भैरव संवर्त हैं।
2 कात्यायनी वृन्दावन शक्तिपीठ , मथुरा के भूतेश्वर में स्थित है| कात्यायनी वृन्दावन शक्तिपीठ जहां सती का केशपाश गिरा था। यहां की शक्ति देवी कात्यायनी हैं।
3 करवीर शक्तिपीठ महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित है| यह शक्तिपीठ, जहां माता का त्रिनेत्र गिरा था। यहां की शक्ति महिषासुरमदिनी तथा भैरव क्रोधशिश हैं। यहां महालक्ष्मी का निज निवास माना जाता है।
4 श्री पर्वत शक्तिपीठ, इस शक्तिपीठ को लेकर विद्वानों में मतान्तर है| कुछ विद्वानों का मानना है कि इस पीठ का मूल स्थल लद्दाख है, जबकि कुछ का मानना है कि यह असम के सिलहट में है| जहां माता सती का दक्षिण तल्प यानी कनपटी गिरी थी । यहां की शक्ति श्री सुन्दरी एवं भैरव सुन्दरानन्द हैं।
5 विशालाक्षी शक्तिपीठ, उत्तर प्रदेश, वाराणसी के मीरघाट पर स्थित है| शक्तिपीठ जहां माता सती के दाहिने कान के मणि गिरे थे। यहां की शक्ति विशालाक्षी तथा भैरव काल भैरव हैं।
6 गोदावरी तट शक्तिपीठ, आंध्रप्रदेश के कब्बूर में गोदावरी तट पर स्थित है| यह शक्तिपीठ, जहां माता का वामगण्ड यानी बायां-कपोल गिरा था। यहां की शक्ति विश्वेश्वरी या रुक्मणी तथा भैरव दण्डपाणि हैं।
7 शुचीन्द्रम शक्तिपीठ, तमिलनाडु, कन्याकुमारी के त्रिासागर संगम स्थल पर स्थित है| यह शुची शक्तिपीठ, जहां सती के उपरिदन्त (मतान्तर से पृष्ठ भाग) गिरे थे। यहां की शक्ति नारायणी तथा भैरव संहार या संकूर हैं।
8 पंचसागर शक्तिपीठ, इस शक्तिपीठ का कोई निश्चित स्थान ज्ञात नहीं है लेकिन यहां माता का नीचे के दन्त गिरे थे। यहां की शक्ति वाराही तथा भैरव महारुद्र हैं।
9. ज्वालामुखी शक्तिपीठ हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा में स्थित है यह शक्तिपीठ, जहां सती की जिह्वा गिरी थी। यहां की शक्ति सिद्धिदा व भैरव उन्मत्त हैं।
10. भैरव पर्वत शक्तिपीठ, इस शक्तिपीठ को लेकर विद्वानों में मतदभेद है। कुछ गुजरात के गिरिनार के निकट भैरव पर्वत को तो कुछ मध्य प्रदेश के उज्जैन के निकट क्षीप्रा नदी तट पर वास्तविक शक्तिपीठ मानते हैं, जहां माता का उपरि ओष्ठ गिरा है। यहां की शक्ति अवन्ती तथा भैरव लंबकर्ण हैं।
11. अट्टहास शक्तिपीठ, पश्चिम बंगाल के लाबपुर में स्थित है। जहां माता का अध्रोष्ठ यानी नीचे का होंठ गिरा था। यहां की शक्ति पफुल्लरा तथा भैरव विश्वेश हैं।
12. जनस्थान शक्तिपीठ महाराष्ट्र नासिक के पंचवटी में स्थित है| जनस्थान शक्तिपीठ जहां माता की ठुड्डी गिरी थी। यहां की शक्ति भ्रामरी तथा भैरव विकृताक्ष हैं।
13. कश्मीर शक्तिपीठ जम्मू-कश्मीर के अमरनाथ में स्थित है यह शक्तिपीठ जहां माता का कण्ठ गिरा था। यहां की शक्ति महामाया तथा भैरव त्रिसंध्येश्वर हैं।
14. नन्दीपुर शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के सैन्थया में स्थित है| यह पीठ, जहां देवी की देह का कण्ठहार गिरा था। यहां कि शक्ति निन्दनी और भैरव निन्दकेश्वर हैं।
15. श्री शैल शक्तिपीठ आंध्रप्रदेश के कुर्नूल के पास है| श्री शैल का शक्तिपीठ, जहां माता का ग्रीवा गिरा था। यहां की शक्ति महालक्ष्मी तथा भैरव संवरानन्द अथव ईश्वरानन्द हैं।
16. नलहरी शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के बोलपुर में है| नलहरी शक्तिपीठ, जहां माता की उदरनली गिरी थी। यहां की शक्ति कालिका तथा भैरव योगीश हैं।
17. मिथिला शक्तिपीठ, इसका निश्चित स्थान अज्ञात है। स्थान को लेकर मन्तारतर है| तीन स्थानों पर मिथिला शक्तिपीठ को माना जाता है, वह है नेपाल के जनकपुर, बिहार के समस्तीपुर और सहरसा, जहां माता का वाम स्कंध् गिरा था। यहां की शक्ति उमा या महादेवी तथा भैरव महोदर हैं।
18. रत्नावली शक्तिपीठ- इसका निश्चित स्थान अज्ञात है, मान्यता अनुसार यह तमिलनाडु के चेन्नई में कहीं स्थित है| रत्नावली शक्तिपीठ जहां माता का दक्षिण स्कंध् गिरा था। यहां की शक्ति कुमारी तथा भैरव शिव हैं।
19. अम्बाजी शक्तिपीठ, प्रभास पीठ गुजरात जूनागढ़ के गिरनार पर्वत के प्रथत शिखर पर देवी अम्बिका का भव्य विशाल मन्दिर है| जहां माता का उदर गिरा था। यहां की शक्ति चन्द्रभागा तथा भैरव वक्रतुण्ड है। ऐसी भी मान्यता है कि गिरिनार पर्वत के निकट ही सती का उर्धोष्ठ गिरा था, यहां की शक्ति अवन्ती तथा भैरव लंबकर्ण है।
20. जालंधर शक्तिपीठ, पंजाब के जालंधर में स्थित है| माता का जालंधर शक्तिपीठ में माता का वामस्तन गिरा था। यहां की शक्ति त्रिापुरमालिनी तथा भैरव भीषण हैं।
21. रामागरि शक्तिपीठ, इस शक्ति पीठ की स्थिति को लेकर भी विद्वानों में मतान्तर है। कुछ उत्तर प्रदेश के चित्रकूट तो कुछ मध्य प्रदेश के मैहर में मानते हैं, जहां माता का दाहिना स्तन गिरा था। यहा की शक्ति शिवानी तथा भैरव चण्ड हैं।
22. वैद्यनाथ का हार्द शक्तिपीठ, झारखण्ड के गिरिडीह, देवघर स्थित है| वैद्यनाथ हार्द शक्तिपीठ, जहां माता का हृदय गिरा था। यहां की शक्ति जयदुर्गा तथा भैरव वैद्यनाथ है। एक मान्यतानुसार यहीं पर सती का दाह-संस्कार भी हुआ था।
23. वक्रेश्वर शक्तिपीठ माता का यह शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के सैिन्थया में स्थित है जहां माता का मन गिरा था। यहां की शक्ति महिषासुरमदिनी तथा भैरव वक्त्रानाथ हैं।
24. कण्यकाश्रम शक्ति पीठ तमिलनाडु के कन्याकुमारी के तीन सागरों हिन्द महासागर, अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी के संगम पर स्थित है| कण्यकाश्रम शक्तिपीठ, जहां माता की पीठ मतान्तर से उर्ध्व दन्त गिरा था। यहां की शक्ति शर्वाणि या नारायणी तथा भैरव निमषि या स्थाणु हैं।
25. बहुला शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के कटवा जंक्शन के निकट केतु ग्राम में स्थित है| बहुला शक्तिपीठ, जहां माता का वाम बाहु गिरा था। यहां की शक्ति बहुला तथा भैरव भीरुक हैं।
26. उज्जयिनी शक्तिपीठ मध्य प्रदेश के उज्जैन के पावन क्षिप्रा के दोनों तटों पर स्थित है| उज्जयिनी शक्तिपीठ, जहां माता की कुहनी गिरी थी। यहां की शक्ति मंगल चण्डिका तथा भैरव मांगल्य कपिलांबर हैं।
27. मणिवेदिका शक्तिपीठ राजस्थान के पुष्कर में स्थित है मणिदेविका शक्तिपीठ, जिसे गायत्री मन्दिर के नाम से जाना जाता है| यहीं माता की कलाइयां गिरी थीं। यहां की शक्ति गायत्री तथा भैरव शर्वानन्द हैं।
28. प्रयाग शक्तिपीठ उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में स्थित है। यहां माता के हाथ की अंगुलियां गिरी थी। लेकिन, स्थानों को लेकर मतभेद हैं | इसे यहां अक्षयवट, मीरापुर और अलोपी स्थानों गिरा माना जाता है। तीनों शक्तिपीठ की शक्ति ललिता हैं।
29. विरजाक्षेत्रा, उत्कल शक्तिपीठ उड़ीसा के पुरी और याजपुर में माना जाता है| जहां माता की नाभि गिरी थी| यहां की शक्ति विमला तथा भैरव जगन्नाथ पुरुषोत्तम हैं।
30. कांची शक्तिपीठ तमिलनाडु के कांचीवरम् में स्थित है| माता का कांची शक्तिपीठ, जहां माता का कंकाल गिरा था। यहां की शक्ति देवगर्भा तथा भैरव रुरु हैं।
31. कालमाधव् शक्तिपीठ, इस शक्तिपीठ के बारे कोई निश्चित स्थान ज्ञात नहीं है परन्तु, यहां माता का वाम नितम्ब गिरा था। यहां की शक्ति काली तथा भैरव असितांग हैं।
32. शोण शक्तिपीठ, मध्य प्रदेश के अमरकंटक के नर्मदा मन्दिर शोण शक्तिपीठ है। यहां माता का दक्षिण नितम्ब गिरा था। (एक दूसरी मान्यता यह है कि बिहार के सासाराम का ताराचण्डी मन्दिर ही शोण शक्तिपीठ है) यहां सती का दायां नेत्रा गिरा था, ऐसा माना जाता है। यहां की शक्ति नर्मदा या शोणाक्षी तथा भैरव भद्रसेन हैं।
33. कामरूप कामाख्या शक्तिपीठ, कामगिरि असम गुवाहाटी के कामगिरि पर्वत पर स्थित है यह शक्तिपीठ, जहां माता का योनि गिरी थी। यहां की शक्ति कामाख्या तथा भैरव उमानन्द हैं।
34. जयन्ती शक्तिपीठ, मेघालय के जयन्तिया पहाडी पर स्थित है, जहां माता का वाम जंघा गिरा था। यहां की शक्ति जयन्ती तथा भैरव क्रमदीश्वर हैं।
35. मगध् शक्तिपीठ, बिहार की राजधनी पटना में स्थित पटनेश्वरी देवी को ही शक्तिपीठ माना जाता है- जहां माता का दाहिना जंघा गिरा था। यहां की शक्ति सर्वानन्दकरी तथा भैरव व्योमकेश हैं।
36. त्रिस्तोता शक्तिपीठ, पश्चिम बंगाल के जलपाइगुड़ी के शालवाड़ी गांव में तीस्ता नदी पर स्थित है| त्रिस्तोता शक्तिपीठ, जहां माता का वामपाद गिरा था। यहां की शक्ति भ्रामरी तथा भैरव ईश्वर हैं।
37. त्रिपुरी सुन्दरी शक्तिपीठ, त्रिपुरा के राध-किशोर ग्राम में स्थित है त्रिपुर सुन्दरी शक्तिपीठ, जहां माता का दक्षिण पाद गिरा था। यहां की शक्ति त्रिपुर सुन्दरी तथा भैरव त्रिपुरेश हैं।
38. विभाष शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के मिदनापुर के ताम्रलुक ग्रााम में स्थित है| विभाष शक्तिपीठ, जहां माता का वाम टखना गिरा था। यहां की शक्ति कापालिनी, भीमरूपा तथा भैरव सर्वानन्द हैं।
39. देवीकूप पीठ, कुरुक्षेत्र (शक्तिपीठ) हरियाणा के कुरुक्षेत्र जंक्शन के निकट द्वैपायन सरोवर के पास स्थित है| कुरुक्षेत्र शक्तिपीठ, जिसे श्रीदेवीकूप -भद्रकाली पीठ के नाम से मान्य है। माता का दहिने चरण गिरा था। यहां की शक्ति सावित्री तथा भैरव स्थाणु हैं।
40. युगाद्या शक्तिपीठ (क्षीरग्राम शक्तिपीठ) पश्चिम बंगाल के बर्दमान जिले के क्षीरग्राम में स्थित है| युगाद्या शक्तिपीठ, यहां सती के दाहिने चरण का अंगूठा गिरा था।
41. विराट का अम्बिका शक्तिपीठ राजस्थान के गुलाबी नगरी जयपुर के वैराटग्राम में स्थित है विराट शक्तिपीठ, जहां माता का दक्षिण पादांगुलियां गिरी थीं। यहां की शक्ति अंबिका तथा भैरव अमृत हैं।
42. काली शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल, कोलकाता के कालीघाट में कालीमन्दिर के नाम से प्रसिध यह शक्तिपीठ, जहां माता के दाएं पांव की अंगूठा छोड़ 4 अन्य अंगुलियां गिरी थीं। यहां की शक्ति कालिका तथा भैरव नकुलेश हैं।
43. मानस शक्तिपीठ, तिब्बत के मानसरोवर तट पर स्थित है| मानस शक्तिपीठ में माता की दाहिनी हथेली गिरी थी । यहां की शक्ति की दाक्षायणी तथा भैरव अमर हैं।
44. लंका शक्तिपीठ, श्रीलंका में स्थित है लंका शक्तिपीठ, जहां माता का नूपुर गिरा था। यहां की शक्ति इन्द्राक्षी तथा भैरव राक्षसेश्वर हैं। यह स्थान ज्ञात नहीं है कि श्रीलंका के किस स्थान पर गिरे थे।
45. गण्डकी शक्तिपीठ नेपाल में गण्डकी नदी के उद्गम पर स्थित है गण्डकी शक्तिपीठ, में सती के दक्षिणगण्ड (कपोल) गिरा था। यहां शक्ति `गण्डकी´ तथा भैरव `चक्रपाणि´ हैं।
46. गुह्येश्वरी शक्तिपीठ नेपाल के काठमाण्डू में पशुपतिनाथ मन्दिर के पास ही स्थित है| गुह्येश्वरी शक्तिपीठ में माता सती के दोनों जानु (घुटने) गिरे थे। यहां की शक्ति `महामाया´ और भैरव `कपाल´ हैं।
47. हिंगलाज शक्तिपीठ पाकिस्तान के ब्लूचिस्तान प्रान्त में स्थित है| माता हिंगलाज शक्तिपीठ में माता का ब्रह्मरन्ध्र गिरा था।
48. सुगंध शक्तिपीठ बांग्लादेश के खुलना में सुगंध नदी के तट पर स्थित है| उग्रतारा देवी का शक्तिपीठ, यहां माता की नासिका गिरी थी। यहां की शक्ति देवी सुनन्दा है तथा भैरव त्रयम्बक हैं।
49. करतोयाघाट शक्तिपीठ बंग्लादेश भवानीपुर के बेगड़ा में करतोया नदी के तट पर स्थित है| यहां माता का वाम तल्प गिरा था। यहां की देवी अपर्णा रूप में तथा शिव वामन भैरव रूप में वास करते हैं।
50. चट्टल शक्तिपीठ बंग्लादेश के चटगांव में स्थित है| यहां माता की दाई बाहु गिरी थी। यहां की शक्ति भवानी तथा भेरव चन्द्रशेखर हैं।
51. यशोरेश्वरी शक्तिपीठ बांग्लादेश के जैसोर खुलना में स्थित है| यहाँ माता की बायीं हथेली गिरी थी। यहां की शक्ति यशोरेश्वरी तथा भैरव चन्द्र हैं।
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