शुभासित-54

शुभासि
1. पर्वतारोहियों का नजरियाँ एकदम स्पष्ट, साहस और शौर्य से भरा होता हैं। वे एक क्षण को भी नहीं गवाते। यहीं नजरिया अपनाने से जीवन, कुंठा-मुक्त होकर सरल, सहज और उन्नतिशील हो जाता हैं।
2. हार नहीं मानने का हौसला कोई दवाई नहीं, जो बाजार में मिलती हो। संघर्ष की धूप में पका श्रम, जिन्दगी के प्रति आस्था, स्नेह और विश्वास के मिश्रण से ही हौसले का निर्माण होता हैं।
3. बच्चों को यथा-संभव सुख-सुविधा देने के बीच यह भी जरूरी हैं कि उनको संघर्ष की धूप भी मिलती रहें, ठीक वैसे ही जैसे शरीर को प्रकृति की सहज धूप जरूरी होती हैं; किन्तु स्नेहयुक्त वात्सल्य रखना सदैव अनिवार्य हैं।  
4. जीवन को सुखद, सरल और सहर्ष बनाना हैं, तो प्रेम को अपने स्वाभाव एवं व्यवहार में अपनाये रखिये। दुसरे के नजरिये, स्वाभाव के भरोसे मत रहिये 
5. “रिस्ते” कागज की "किस्ती" के समान नहीं होते; वे तो विशाल समंदर में "पतवार" की तरह होते हैं। 
6. जीवन में बदलाव तो परिवर्तन से भरी नांव की तरह होता हैं, जो पलभर में पलट जाती हैं। इसके पलटने को रोकना तो हमारे वश में नहीं हैं; किन्तु अपने कर्म-पथ में अडिग और अविचलित रहना तो हमारे वश में हैं।


7. कड़वे अनुभव से उबरना भी उपचार हैं। यह अविस्मृत करने की प्रक्रिया के तहत हैं। अगर दुःख से बाहर न आ पाये तो, यह ताउम्र अमरबेल के समान हमारे मन-मस्तिष्क में सवार रहकर, जीवन अथवा जीवन की कला को छीन लेता हैं। 
8. सदाचरण और सद-व्यवहार के माध्यम से ही “व्यक्तित्व” परिभाषित होता हैं। 
9. धन, शक्ति और दक्षता केवल जीवन के साधन हैं, खुद जीवन नहीं हैं। 
10. एक खराब मौसम के कारण जिंदगी के सफ़र का मानचित्र बदला नहीं जा सकता। 
11. जिंदगी से बड़ा रंगरेज दूसरा कोई नहीं हैं। 
12. चरित्रवान बनने के लिए वैसा ही प्रयास कीजिये, जैसा सुंदर दिखने के लिए करते हैं। 
13. सही दिशा में किया जाने वाले कर्म का मार्ग चाहे जितना भी कष्टसाध्य हो; किन्तु सफलता सदैव सुखदायीं ही होगी। 
14. जीवन में आधे से ज़्यादा अशांति गलत बोलने और गलत सुनने से होती हैं। अतएव बोलने में सावधानी और सुनने में समझदारी बनाये रखें।
15. एक अजीब सी,दौड़ हैं ये जिंदगी,जीत जाओ तो कई,अपने पीछे छूट जाते हैं,औरहार जाओ तो,अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं। 
16. उस हुनर को खोजने में समय बर्बाद मत करो, जो तुम्हारे भीतर नहीं हैं, बल्कि जो अपनी प्रतिभा हैं, उसे निखारने की कोशिश करो।
17. हम कोई ड्रेस लेने बाजार जाते हैं, तब कितनी दुकान घूमते हैं, कितना सोचते हैं। जब छोटी से छोटी चीज को लेने के लिए इतना सोचते हैं, तब अपने और अपने आश्रितों के भविष्य और कॅरियर के बारे में भी पूरी ईमानदारी से सोचना चाहिए।
18. जीवन में निश्चित कार्यप्रणाली को अपनायें और वह कार्य सर्व प्रथम करें, जो जरूरी हो तथा कोई भी कार्य को दूसरे दिन के लिए न टाले।
19. जीवन जीने की दो शैलियां ‘व्यवहार व स्वभाव’ हैं। आमतौर पर लोग व्यवहार में जीते हैं, यही वजह है कि विकास के बाद भी वे मानसिक रूप से असंतुष्ट व अशांत रहते हैं। जबकि स्वभाव में जीने वाले व्यक्ति का विकास होने के साथ ही उसे आत्मसंतुष्टि व शांति भी मिलती है। वर्तमान में कोई भी व्यक्ति किसी एक शैली के साथ नहीं जी सकता। अत: दोनों में संतुलन जरूरी है। यही जीवन प्रबंधन का मूल रहस्य है।
20. व्यक्तित्व निरंतर आठ अवस्थाओं से होकर निर्मित होता है। ये अवस्थाएं हैं शैशवास्था, बाल्यावस्था, खेलने की आयु, विद्यालयीन अवस्था, तरुणावस्था, यौवनावस्था, युवा वयस्कता, प्रौढावस्था तथा परिपक्वता। इस प्रकार व्यक्तित्व एक स्थिर घटना नहीं अपितु एक गतिशील प्रक्रिया है, जो गर्भधारण के क्षण से प्रारंभ होकर उसके अंतिम श्वास तक चलती रहती है। इसका अर्थ है कि समय के साथ व्यक्तित्व की कुछ विशेषताओं का महत्व घट सकता है, कुछ विशेषताएं विलुप्त हो सकती हैं, कुछ का महत्व बढ सकता है, कुछ का स्थान नई विशेषताएं ले सकती हैं अथवा कुछ नए गुण निर्मित हो सकते हैं।
21. चरित्र का हीरा विपदाओं के तमाम, पाषाण खण्डो को भी काट देता है।
22. चरित्र वृक्ष है, और प्रतिष्ठा उसकी छाया।
23. आत्मज्ञान के उपलब्धी की नींव, शुध्द चरित्र, सकारात्मक कार्य एवं सोच पर आधारित हैं।
24. एक चरित्रवान इन्सान, कभी भी अपने पद और पद से जुडी शक्तियों का फायदा नहीं उठाता।
25. जो इन्सान अपने आप पर काबू नहीं रख पाता, उसका चरित्र दुर्बल होता हैं।
26. चरित्र परिवर्तनशील नहीं, बल्कि विकासशील होता है।
27. हमारी बुद्धिमत्ता का अंत स्वतंत्रता है, संस्कृति का अंत पूर्णता है, ज्ञान का अंत प्रेम है और शिक्षा का अंत चरित्र है।
28. चरित्र निर्माण, स्वयं को अनुशासित, सुसंगठित और व्यवस्थित भी बनाता हैं।
29. यश का स्वरूप वाह्य हैं और चरित्र का आंतरिक होता है।
30. चरित्र जब गिरता है तब, मिट्टी के बर्तन की भाँति चकनाचूर हो जाता है, जो किसी काम का नहीं रह जाता।
31. चरित्र कभी भी ज्ञान, पैसा आदि में वृद्धि नहीं करता है, बल्कि समाज में चरित्रवान को प्रतिष्ठित करता हैं।
32. मनुष्य का चरित्र शुध्द विचारधारा का पोषक होता हैं।
33. जिंदगी में एक दूसरे के जैसा होना आवश्यक नहीं, बल्कि एक दूसरे के लिए होना आवश्यक हैं।
34. भाव और सोच चाहे जितनी भी अच्छी हो, किन्तु व्यवहार और वार्ता अप्रिय हो, तब संबंध नहीं निभते।
35. ऐसा नहीं कि मुझमें कोई ऐब नहीं हैं,पर सच कहता हूं कि मुझमें कोई फ़रेब नहीं हैं। 
36. अतीत में जीने वाला या अतीत की ही सोचने वाला, कभी भी भविष्य को सफल नहीं बना सकता 
37. प्रसन्नता सदैव आंतरिक होती हैं। खुद से खुद को खुश रख सकें, वही असली प्रसन्नता हैं।
38. गलतफहमी का एक पल इतना जहरीला होता है, जो प्‍यार भरे सौ लम्‍हों को एक क्षण में भुला देता है।
39. जिस धागे की गांठें खुल सकती हैं, उस धागे पर कैंची नहीं चलानी चाहिए। 
40. दुख और वेदना के अथाह सागर वाले इस संसार में प्रेम की अत्यधिक आवश्यकता है।
41. कवि और चित्रकार में भेद है। कवि अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है। 
42. पीड़ा से दृष्टि मिलती है, इसलिए आत्मपीड़न ही आत्मदर्शन का माध्यम है। 
43. अत्याचार और अनाचार को सिर झुकाकर वे ही सहन करते हैं जिनमें नैतिकता और चरित्र का अभाव होता है।
44. वह पुरूष धन्‍य है जो काम करने में कभी पीछे नहीं हटता, भाग्‍यलक्ष्‍मी ऐसे का ही सहारा बन जाती हैं।  
45. दूसरों को दण्‍ड देना सहज है, किन्‍तु उन्‍हें क्षमा करना और उनकी भूल सुधारना  कठिन कार्य है।  
 46. साध्य कितने भी पवित्र क्यों न हों, साधन की पवित्रता के बिना उनकी उपलब्धि संभव नहीं।
47. शरीर को रोगी और निर्बल रखने के सामान दूसरा कोई पाप नहीं है। 
 48. जैसे सूर्योदय के होते ही अंधकार दूर हो जाता है वैसे ही मन की प्रसन्नता से सारी बाधाएँ शांत हो जाती हैं।
49. अपने को संकट में डाल कर कार्य संपन्न करने वालों की विजय होती है, कायरों की नहीं। 
51. श्रेष्‍ठतम मार्ग खोजने की प्रतीक्षा के बजाय, हम गलत रास्‍ते से बचते रहें और बेहतर रास्‍ते को अपनाते रहें। 
52. शत्रु के साथ मृदुता का व्यवहार अपकीर्ति का कारण बनती है और पुरुषार्थ यश का।
53. समझौता एक अच्छा छाता भले ही बन सकता है, लेकिन अच्छी छत नहीं  
54. प्रकृति अपरिमित ज्ञान का भंडार है, पत्ते-पत्ते में शिक्षापूर्ण पाठ हैं, परंतु उससे लाभ उठाने के लिए अनुभव आवश्यक है। 

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