जनसंघ के संस्थापक- श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी.


जनसंघ के संस्थापक-
श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी.

जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को कोलकाता में हुआ था। उनके पिता आशुतोष मुखर्जी एक प्रतिष्ठित वकील थे और बाद में कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति भी बने।

डॉ. मुखर्जी ने 1921 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में ग्रैजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने बैचलर्स ऑफ लॉ भी किया। 1926 में, वह वकालत की पढ़ाई करने ब्रिटेन चले गए और 1927 में वे बैरिस्टर बनकर भारत वापस आए। 33 साल की उम्र में, वह कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति बने। इस यूनिवर्सिटी के वह सबसे कम उम्र के कुलपति थे।

उन्होंने 1929 में राजनीति में कदम रखा और बंगाल विधान परिषद के सदस्य बनें। बाद में वह इंडिपेंडेंट कैंडिडेट के तौर पर चुनाव लड़े और जीते। वह 1941-1942 में बंगाल के वित्त मंत्री भी रहे।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने हिंदू महासभा जॉइन किया और 1944 में उसके अध्यक्ष बन गए। वह हिंदुओं के पक्ष में मुखर होकर अपनी आवाज उठाने लगे। वह, जिन्ना के ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के विरोधी थे। अपनी विशिष्ट रणनीति से उन्होंने बंगाल के विभाजन हेतु मुस्लिम लीग के प्रयासों को पूरी तरह से नाकाम कर दिया।

पहले डॉ मुखर्जी बंटवारे के विरोध में थे। उनका मानना था कि हम सब एक ही संस्कृति के हैं, लेकिन साम्प्रदायिक हिंसा को देखते हुए, उन्हें लगने लगा कि हिंदुओं का मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में रहना ठीक नहीं है।

डॉ. मुखर्जी ने बंगाल और पंजाब के विभाजन की मांग उठाकर प्रस्तावित पाकिस्तान का विभाजन कराया और आधा बंगाल और आधा पंजाब भारत के लिए बचा लिया। गांधीजी और सरदार पटेल के अनुरोध पर वे भारत के प्रथम मंत्रिमंडल में शामिल हुए। उन्हें “उद्योग” जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई। उनके राष्ट्रवादी चिंतन के चलते अन्य नेताओं से मतभेद बराबर बने रहे। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की। 1952 के चुनाव में बीजेएस को संसद में तीन सीटें प्राप्त हुईं थी।

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