मायावी गिनतियां. (रोचक कथा)
(जीशान जैदी)
भाग-16
भाग-15 से लगातार.... एक मिनट और बीत चुका था और अब ट्राली की स्पीड मात्र साढ़े बारह किलोमीटर प्रति मिनट ही रह गयी थी। उसने सोचा कि ट्राली से कूद जाये और दौड़ना शुरू कर दे। लेकिन उसके कैलकुलेशन के अनुसार अभी भी 13 किलोमीटर का फासला बाकी था और ये फासला वह बचे हुए छः मिनट में हरगिज़ तय नहीं कर सकता था। वह ट्राली के फर्श पर बेचैनी से टहलने लगा।
आसमान में सुर्ख बादल लगातार गहरे होते जा रहे थे। और उसके दिल पर मायूसी भी उतनी ही गहरी होती जा रही थी। लेकिन फिर अचानक सम्राट की बात उसके ज़हन में गूंजी जिसने उसके दिल में रोशनी की किरण पैदा कर दी। उसने कहा था, ‘‘बिना एम स्पेस की गणितीय पहेलियों को समझे कोई उसे पार नहीं कर सकता।’’ और ट्राली की स्पीड का हर मिनट इस तरह कम होना भी यकीनन कोई गणितीय पहेली ही थी।
एक बार फिर उसने अपने दिमाग़ को दौड़ाना शुरू किया और आखिरकार उसे इस पहेली का हल मिल गया। यकीनन वह तेज़ाबी बारिश से बच सकता था। लेकिन उसे जो कुछ करना था वह आखिरी नौवें मिनट में ही करना था। जिस तरह हर मिनट ट्राली की स्पीड कम हो रही थी उस आधार पर नौवें मिनट की समाप्ति पर ट्राली एक सौ निन्यानवे किलोमीटर और छः सौ मीटर की दूरी तय कर लेती। यानि अगर वह उस समय ट्राली से कूदकर आगे की तरफ भागना शुरू कर देता तो एक मिनट में ये बचे हुए चार सौ मीटर तय कर सकता था। अब वह इत्मिनान से बैठकर नौ मिनटों के खत्म होने का इंतिज़ार करने लगा।
वक्त गुज़र रहा था और ट्राली अब लगभग कछुए की रफ्तार से रेंगने लगी थी। सुर्ख बादलों ने पूरे वातावरण को ही सुर्ख कर दिया था। अजीब डरावना मंज़र था, वह।
फिर नौवां मिनट भी खत्म हुआ और उसने फौरन ट्राली से छलांग लगा दी। अब वह जान छोड़कर आगे की तरफ भाग रहा था। इस समय उसका बन्दर का जिस्म काफी काम आ रहा था जिसमें बन्दरों की ही फुर्ती भरी हुई थी। बादलों में अब रह रहकर बिजलियां कड़क रही थीं।
दसवाँ मिनट खत्म होने में कुछ ही मिनट रह गये थे, जब उसे आगे ज़मीन पर एक चमकदार पीली रेखा दिखाई दी। शायद ये दो सौ किलोमीटर की सीमा को दर्शा रही थी। उसकी एक लंबी छलांग ने उसे रेखा को पार करा दिया। उसी समय उसे अपने पीछे शोर सुनाई दिया। उसने घूमकर देखा, बारिश शुरू हो गयी थी। लेकिन वह बारिश रेखा के इस पर नहीं आ रही थी। लगता था मानो किसी ने वहाँ शीशे की दीवार खड़ी कर दी है। फिर उसने ये भी देखा कि चींटी की रफ्तार से रेंगती ट्राली धीरे धीरे उस पानी में पिघलती जा रही है। उसके बदन में सिहरन दौड़ गयी। अगर वह उस ट्राली पर होता तो उसका भी यही अंजाम होता। उसने एक इत्मिनान की गहरी साँस ली और आगे बढ़ने लगा।
क्रमशः
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