मायावी गिनतियां. (रोचक कथा)
(जीशान जैदी)
भाग-29
भाग-28 से लगातार.... ‘ऐसा लगता है कि यहाँ से पूरी पृथ्वी को देखा जा सकता है और उसकी घटनाओं को कण्ट्रोल किया जा सकता है। तो क्या मैं कथित एम-स्पेस के कण्ट्रोल रूम में पहुंच गया हूं?’ उसके दिमाग में यह विचार आया। लेकिन उसी वक्त एक आवाज़ ने उसके विचारों को भंग कर दिया।
‘तुम गलत सोच रहे हो।’ उसने देखा यह आवाज़ उस कटे सर से आ रही थी। उसके होंठ हिल रहे थे। ऐसे दृश्य को देखकर सनी की उम्र का कोई भी लड़का भूत भूत चिल्लाते हुए भाग निकलता। लेकिन इस दुनिया के पल पल बदलते रंगों में सनी पहले ही इतना हैरतज़दा हो चुका था कि अब कोई नयी घटना उसके ऊपर अपना प्रभाव नहीं डालती थी। वह उस कटे सर के पास पहुंचा।
‘‘मैं क्या गलत सोच रहा हूं?’’ उसने उस सिर से पूछा। इतना तो उसे एहसास हो ही गया था कि यह सिर मायावी एम-स्पेस की कोई नयी माया है।
‘‘जिस जगह तुम खड़े हो, वह एम-स्पेस का कण्ट्रोल रूम नहीं है। लेकिन कण्ट्रोल रूम तक जाने का रास्ता ज़रूर है।’’ उस सिरने कहा।
‘‘वह रास्ता किधर है?’’
‘‘मैं मजबूर हूं, नहीं बता सकता। वरना मेरी मौत हो जायेगी। वह रास्ता तुम्हें खुद ढूंढना होगा।’’
‘‘लेकिन तुम्हारे कटे सिर से तो यही मालूम हो रहा है कि तुम मर चुके हो। फिर अब कैसा मरना?’’
‘‘एम-स्पेस की एक तकनीक ने मेरे सिर को धड़ से जुदा कर दिया है। लेकिन मैं जिंदा हूं।’’
‘‘अच्छा यह बताओ कि मुझे कैसे पता चलेगा कि मैं कण्ट्रोल रूम पहुंच गया?’’ सनी ने फिर पूछा। उसके मुंह से हालांकि बन्दर की ही खौं खौं की भाषा निकल रही थी, लेकिन वह कटा सिर उस भाषा को बखूबी समझ रहा था। सनी की बात के जवाब में वह सिर बोला, ‘‘जिस जगह तुम मेरा कटा हुआ धड़ देखोगे वही जगह होगा कण्ट्रोल रूम।’’
‘‘लेकिन तुम हो कौन?’’
‘‘मैं कौन हूं, इसका पता तुम्हें उसी वक्त चलेगा जब तुम कण्ट्रोल रूम तक पहुंचने में कामयाब हो जाओगे। और अब होशियार रहना क्योंकि आगे का रास्ता ज़्यादा मुश्किल है।’’
सनी ने सिर हिलाया और चारों तरफ देखने लगा। अब इससे ज़्यादा मुश्किल और क्या होगी कि वह तेज़ाबी बारिश और साँप बिच्छुओं का सामना करके आ चुका था। वैसे उस सिर ने काफी हद तक उसका मार्गदर्शन कर दिया था। यानि एम स्पेस के चक्रव्यूह को तोड़ने के लिये कण्ट्रोल रूम तक पहुंचना ज़रूरी था। उसे तलाश थी, अब कण्ट्रोल रूम तक पहुंचने के रास्ते की। जिसके बाद न सिर्फ उसकी जान बच जाती बल्कि वह सम्राट की साज़िशों को भी बेनक़ाब कर देता जो कि ईश्वर बनकर पूरी दुनिया पर कब्ज़ा करने का ख्वाब देख रहा था। उसके मकसदों पर पानी फेरने के लिये इस दुनिया के तिलिस्म को तोड़ना ज़रूरी था।
वह आगे के रास्ते की तलाश में पूरे कमरे का निरीक्षण करने लगा। फिलहाल कहीं कोई रास्ता नहीं दिखाई दे रहा था। दीवारों पर तो टीवी स्क्रीन लगे हुए थे जबकि फर्श व छत बिल्कुल सपाट थी। एक गोल मेज़, जिस पर कटा सिर रखा हुआ था, उसके अलावा कमरे में कोई सामान भी नहीं था।
क्रमशः
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