मायावी गिनतियां. (रोचक कथा)
(जीशान जैदी)
भाग-17
भाग-16 से लगातार.... आगे बढ़ते हुए उसे लग रहा था कि वह किसी जंगल के अन्दर घुस रहा है। क्योंकि पहले इक्का दुक्का मिलने वाले पेड़ धीरे धीरे बढ़ते जा रहे थे। जल्दी ही वह एक घने जंगल में पहुंच गया। इस जंगल में साँप बिच्छू भी हो सकते थे, अतः वह एहतियात के साथ अपने कदम बढ़ाने लगा। फिर उसे ध्यान आया कि उसका जिस्म तो बन्दर का है। उसने फौरन छलांग लगाकर एक पेड़ की डाल पकड़ ली और फिर एक डाल से दूसरी डाल पर कूदते हुए वह आगे बढ़ने लगा। फिर उसे भूख का एहसास हुआ जो इस धमाचौकड़ी का नतीजा थी।
सनी ने एक डाल पर ठिठककर पेड़ों की तरफ देखा। उसे तलाश थी, ऐसे फलों की जो उसकी भूख मिटा सकें। यह देखकर उसकी बांछें खिल गयीं कि पेड़ तो तरह तरह के फलों से लदे हुए थे। उसने फौरन फलों के नज़दीकी गुच्छे की तरफ हाथ बढ़ाया लेकिन उसी समय एक महीन आवाज़ उसके कानों में पड़ी, ‘मर जायेगा, मर जायेगा’ उसने घबराकर अपना हाथ खींच लिया और इधर उधर देखने लगा कि ये आवाज़ किधर से आयी।
उसने फिर गुच्छे की तरफ हाथ बढ़ाया और वही आवाज़ फिर आने लगी। अब उसने ध्यान दिया कि आवाज़ उसी गुच्छे में से आ रही है। यानि कि ये फल ही इंसानों की तरह बोल रहे थे, और शायद ज़हरीले थे, तभी तोड़ने वाले को वार्निंग दे रहे थे।
सनी ने दूसरे पेड़ की ओर देखा। उसकी डालियां भी फलों से लदी हुई थीं। वह फल भी दूसरी तरह के थे। वह छलांग लगाकर उस पेड़ पर पहुंच गया और फल तोड़ने के लिये हाथ बढ़ाया।
‘मरा मरा मरा....’ इस फल से भी लगातार आवाज़ें लगीं और उसने घबराकर अपना हाथ खींच लिया। यानि कि इस फल का तोड़ना भी खतरनाक था।
‘ऐसा तो नहीं कि ये फल अपने को बचाने के लिये इस तरह की आवाज़ लगा रहे हैं।’ उसके दिमाग में विचार आया और उसने तय किया कि इस बार ये फल कुछ भी बोलें, वह उन्हें तोड़ लेगा। उसने फल की तरफ हाथ बढ़ाया और उसकी वार्निंग के बावजूद उसे तोड़ लिया। तोड़ते ही फल से आवाज़ आनी बन्द हो गयी। फिर उसने उसे खाने के लिये मुंह की तरफ बढ़ाया, लेकिन उसी समय किसी ने झपट्टा मारकर उसके हाथ से उस फल को लपक लिया। उसने भन्नाकर लुटेरे को देखा। वो भी एक बन्दर ही था, लेकिन असली।
क्रमशः
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