शुभासित
2. जिन्होंने भी जीवन को रहस्यमय बनाया, उनकी मृत्यु भी रहस्यमय रूप से हुई हैं| इसीलिए कहा गया कि जीवन को सरलता से और खुली किताब की भांति जियो।
3. इच्छा और क्रोध से मुक्त हो, जिसका मन और आत्मा में एकात्म भाव आ गया हो, उसे ही शांति सहित आत्म-मुग्धता प्राप्त होती हैं।
4. ध्येय जितना महान होता है, उसका रास्ता उतना ही लम्बा और बीहड़ होता है।
5. पानी की एक बूंद गर्म तवे पर पड़े तो मिट जाती है, कमल के पत्ते पर गिरे तो मोती की तरह चमकने लगती है, सीप में गिर जाये तो खुद ही मोती बन जाती है। बस यह सब संगत का प्रभाव है।"
6. "कर्म" का ही एक ऐसा सुगम मार्ग हैं, जिसमें आदमी धोखा नहीं खाता।
7. कुटिलता पूर्ण कार्य ही एक ऐसा हैं, जिसमें प्रमाण की उपलब्धता असंभव तो नहीं किन्तु दुष्कर अवश्य होती हैं।
8. शांति पसंद व्यक्तियों को, दोषभरी बात यदि यथार्थ है, तब भी नहीं करना चाहिए, जैसे अंधे को अंधा कहना।
9. अपने से श्रेष्ठ या समकक्ष विचारों वाला साथी न मिले, तब बिना मित्र के रहना ही हितकर होता हैं।
10. घमंडी के लिए ईश्वर, ईर्ष्यालु का पड़ोसी और क्रोधी का कोई मित्र, नहीं होता।
11. राजनीति और प्रेम के क्षेत्र में अधिकारों का दुरूपयोग होता ही रहता हैं।
12. भार हल्का हो जाता है, यदि प्रसन्नतापूर्वक उठाया जाए।
13. अच्छे विचारों से मनुष्य का गुप्त मन, उसके वर्तमान जीवन और उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करते हैं|
14. न, माता-पिता, न दूसरे रिश्तेदार, आदमी की उतनी भलाई करते हैं, जितनी भलाई सन्मार्ग पर गया हुआ चित्त करता है।
15. सभी समस्याएं आसानी से सुलझाई जा सकती हैं, अगर बस इंसान सोचने और समझने को तैयार हो।
16. हिन्दू विवाह कोई शर्तनामा नहीं बल्कि पवित्र धर्मसंस्कार है, जो त्याग, प्रेम, विश्वाश, स्नेह, प्रीति, अनुराग, मैत्री, करुणा, आदि पवित्र और मधुर भाव की धार्मिक शिला पर आधारित होता हैं।
17. आशाएं ऐसी हो जो मंजिल तक ले जाएँ, मंजिल ऐसी हो जो जीवन जीना सीखा दे। जीवन ऐसा हो जो संबंधों का आदर करे और संबंध ऐसे हो जो यादगार बन जाये।"
18. कोहरे से एक अच्छी बात सीखने को मिलती है कि जब जीवन में रास्ता न दिखाई दे रहा हो तो बहुत दूर तक देखने की कोशिश व्यर्थ हैं। एक एक कदम चलते चलो, रास्ता खुलता जाएगा।"
19. कभी भी दूसरों को कम ना आंके, क्योंकि हम यह नहीं जानते कि वह जीवन में किस तरह की स्तिथि का सामना कर रहे है।
20. जिस का वृतांत सुनकर, जिसको देखकर, जिसका स्मरण करके समस्त प्राणियों को आनंद होता है, उसी का जीवन सार्थक माना गया हैं
21. मानव के कर्म ही उसके विचारों की सर्वश्रेष्ट व्याख्या हैं।
22. जरूरी नहीं कि सारे सबक किताबों से ही सीखे जाएँ, कुछ सबक जिंदगी और रिस्ते भी सीखा देते हैं।"
23. जीवन को सफल बनाने के लिए विशेष कुछ भी नहीं हैं, बस निरंतर क्रियाशीलता और निष्ठावान होने की जरूरत हैं।
24. सच्चाई से तो बचा जा सकता हैं, किन्तु उसके नतीजों से नहीं बचा जा सकता। उसका सामना तो हर हाल में करना ही पड़ेगा।
25. अपने विचार यदि दूसरे से मेल न खाते हो; तब क्या आप उसे मार डालेंगे? यह तो आतंकवाद या नक्सलवाद का काम हैं। ऐसी हिंसक कार्यवाही का महिमा-मंडन नहीं किया जाना चाहिए।
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