बड़े मर्द बनते हो?


बड़े मर्द बनते हो?

आज हमेंशा की तरह ट्रेन में कम भीड़ थी। पुष्पा ने खाली जगह पर अपना ऑफिस बैग रखा और खुद बगल में बैठ गई। पूरे डिब्बे में कुछ मर्दों के अलावा सिर्फ पुष्पा ही थी। रात का समय था, सब उनींदे से सीट पर टेक लगाये या तो बतिया रहे थे या ऊंघ रहे थे।

अचानक डिब्बे में 3-4 तृतीय लिंगी तालियां बजाते हुए पहुंचे और मर्दों से 5-10 रूपये वसूलने लगे। कुछ ने चुपचाप दे दिए और कुछ उनींदे से बड़बड़ाने लगे- क्या मौसी रात को तो छोड़ दिया करो, ये हफ्ता वसूली... । वह सभी पुष्पा की तरफ रुख न करते हुए सीधा आगे बढ़ गए, फिर ट्रेन कुछ देर रुकी और कुछ लड़के चढ़े, फिर दौड़ ली आगे की ओर।

पुष्पा की मंजिल अभी 1 घंटे के फासले पर थी। वे 4-5 लड़के पुष्पा के नजदीक खड़े हो गए और उनमे से एक ने नीचे से उपर तक पुष्पा को ललचाई नजरो से देखा और बोला -मैडम अपना ये बैग तो उठा लो, सीट बैठने के लिए है, सामान रखने के लिए नहीं।

साथी लड़कों ने वीभत्स हंसी से उसका साथ दिया, पुष्पा ने अपना बैग उठाया और सीट पर सिमट कर बैठ गई। वे सारे लड़के पुष्पा के बगल में आकर बैठ गए।

पुष्पा ने कातर नजरों से सामने बैठे 2-3 पुरुषों की ओर देखा पर वे ऐसा जाहिर करने लगे मानो पुष्पा का कोई अस्तित्व ही ना हो। तभी पास बैठे लड़के ने पुष्पा की बांह पर अपनी ऊंगली फेरी तो बाकी लड़कों ने फिर उसी वीभत्स हंसी से उसका उत्साहवर्धन किया।

ओ मिस्टर थोड़ा तमीज में रहिये- पुष्पा सीट से उठ खड़ी हुई और ऊंची आवाज में बोली। डिब्बे के सभी मर्द अब भी अपनी अपनी मोबाइल में विचरण कर रहे थे। किसी के मुंह से कुछ नहीं निकला।

अरे..अरे मैडम तो गुस्सा हो गईं, अरे बैठ जाइये मैडम, आपकी और हमारी मंजिल अभी दूर है। तब तक हम आपका मनोरंजन करते रहेंगे, कत्थई दांतों वाला लड़का पुष्पा का हाथ पकड़कर बोला।

डिब्बे की सारीं सीटों पर मानो पत्थर की मूर्तियां विराजमान थी। तभी...अरे तूं क्या मनोरंजन करेगा? हम करतें हैं तेरा मनोरंजन।

शबाना उठा रे लहंगा, ले इस चिकने को लहंगे में बड़ी जवानी चढ़ी है इसे। आय हाय मुंह तो देखो सुअरों का, कुतिया भी ना चाटे। इनके बदन में बड़ी मस्ती चढ़ी है, अरे वो जूली उतारो इनके कपड़े, पूरी मस्ती निकालते हैं, इन कमीनों की।

जूली नाम का भयंकर डीलडौल वाला तृतीय लिंगी जब उन लड़कों की तरफ बढ़ा तो सभी लड़के डिब्बे के दरवाजे की ओर भाग निकले और धीमे चलती ट्रेन से बाहर कूद पड़े।
पुष्पा की भीगी आंखों ने अपनी सुरक्षा करने के लिए सिर झुकाकर उन सभी तृतीय लिगिंयों का अभिवादन किया और फिर नजर जब डिब्बे के कथित मर्दों की तरफ पड़ी जो अपनी आंखे झुकाएं अपनी मोबाइल में व्यस्त थे।

और असली मर्द तालियां बजाते आगे की ओर बढ़ गये।


कौन है, असली मर्द??

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