फलादेश सूत्र. (ज्योतिष)


लादे सूत्र.
(ज्योतिष)

1. जब गोचर में शनि ग्रह धनु, मकर, मीन व कन्या राशियों में गुजरता है तो अकाल, रक्त सम्बन्धी विचित्र रोग होते हैं।

2. किसी देश का राष्ट्राध्यक्ष सोमवार, बुध या गुरूवार को शपथ ले तब प्रजा एवं उसके स्वयम के लिए शुभ माना जाता है।

3. सप्तमेश शुभ-युक्त न होकर षष्ठ, अष्टम या द्वादश भाव में हो, नीच या अस्त हो तो जातक के विवाह में बाधा आती है।

4. जन्म कुंडली में मंगल को भूमि (आवासीय) का और शनि को कृषि भूमि का कारक माना गया है। जन्म कुंडली में चतुर्थ भाव या चतुर्थेश से मंगल का संबंध बनने पर व्यक्ति अपना घर अवश्य बनाता है। जन्म कुंडली में जब एकादश का संबंध चतुर्थ भाव से बनता है तब व्यक्ति एक से अधिक मकान बनाता है लेकिन यह संबंध शुभ व बली होना चाहिए।

5. जन्म कुंडली में लग्नेश, चतुर्थेश व मंगल का संबंध बनने पर भी व्यक्ति भूमि प्राप्त करता है अथवा अपना मकान बनाता है। जन्म कुंडली में चतुर्थ व द्वादश भाव का बली संबंध बनने पर व्यक्ति घर से दूर भूमि प्राप्त करता है या विदेश में घर बनाता है।

6. जन्म कुंडली का चतुर्थ भाव प्रॉपर्टी के लिए मुख्य रुप से देखा जाता है. चतुर्थ भाव से व्यक्ति की स्वयं की बनाई हुई सम्पत्ति को देखा जाता है. यदि जन्म कुंडली के चतुर्थ भाव पर शुभ ग्रह का प्रभाव अधिक है तब व्यक्ति स्वयं की भूमि का स्वामित्व होता हैं।

7. कोई भी ग्रह पहले नवाँश में होने से जातक को प्रगतिशील और साहसिक नेता बनाता है। ऐसे ग्रह की दशा / अन्तर्दशा में जातक सक्रिय होता है और संबंधित क्षेत्र में सफलता पाता है।

8. जन्म से चार वर्ष के भीतर बालक की मृत्यु का कारण माता के कर्म पर, चार से आठ वर्ष के बीच मृत्यु पिता के कर्म और आठ के पश्चात मृत्यु स्वयं के कर्म पर आधारित मानी गई है।

9. बुध के निर्बल होने पर कुंडली में अच्छा शुक्र भी अपना प्रभाव खो देता है क्योंकि शुक्र को लक्ष्मी माना जाता है और बुध्द (विष्णु) की निष्क्रियता से लक्ष्मी भी अपना फल देने में असमर्थ हो जाती हैं।

10. शनि वचनबद्धता, कार्यबद्धता और समयबद्धता का कारक ग्रह है। जिस भी व्यक्ति के जीवन में इन तीनो चीजों का अभाव होगा तो समझना चाहिए की उसकी पत्रिका में शनि की स्थिति अच्छी नहीं है।

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

बहुत उपयोगी जानकारी 🙏