क्षमा करने वाला सुख की नींद सोता है.


क्षमा करने वाला
सुख की नींद सोता है.


क्षमा उठाती है, ऊँचा आप को: व्यक्ति बदला लेकर दूसरे को नीचा दिखाना चाहता है, पर इस प्रयास में वो खुद बहुत नीचे उतर जाता है।

एक बार एक धोबी नदी किनारे की सिला पर रोज की तरह कपडे धोने आया। उसी सिला पर कोई महाराज भी ध्यानस्थ थे। धोबी ने आवाज़ लगायी, उसने नहीं सुनी। धोबी को जल्दी थी, दूसरी आवाज़ लगायी वो भी नहीं सुनी तो धक्का मार दिया।

ध्यानस्थ की आँखें खुली, क्रोध की जवाला उठी दोनों के बीच में खूब मार -पिट और हाथा पायी हुयी। लूट पिट कर दोनों अलग अलग दिशा में बेठ गए। एक व्यक्ति दूर से ये सब बेठ कर देख रहा था। साधु के नजदीक आकर पूछा, महाराज आपको ज्यादा चोट तो नहीं लगी, उसने मारा बहुत आपको। महाराज ने कहा, उस समय आप छुडाने क्यों नहीं आए? व्यक्ति ने कहा, आप दोनों के बीच मे जब युद्ध हो रहा था उस समय में यह निर्णय नहीं कर पाया की धोबी कोन है और साधू कौन है?

प्रतिशोध और बदला साधू को भी धोबी के स्तर पर उतार लाता है। इसीलिए कहा जाता है की, बुरे के साथ बुरे मत बनो, नहीं तो साधू और शठ की क्या पहचान। दूसरी तरफ, क्षमा करके व्यक्ति अपने स्तर से काफी ऊँचा उठ जाता है। इस प्रकिर्या में वो सामने वाले को भी ऊँचा उठने और बदलने की गुप्त प्रेरणा या मार्गदर्शन देता है।

“प्रतिशोध और गुस्से से हम कभी कभार खुद को नुक्सान पहुचां बैठते हैं, जिससे हमें बाद में बहुत पछतावा होता है।

इससे जुडी कुछ विशेष बातें...

1. गुस्से में लिया गया फैसला अक्सर कर गलत ही साबित होता है, तो इसीलिए खुद पर काबू रखना बहुत जरुरी है।

2. क्षमा करने से सामने वाले व्यक्ति के नजर में इज्जत, सम्मान और बढ़ जाता है।

3. गुस्सा करने वाला व्यक्ति हमेशा खुद को ही नुक्सान पंहुचाता है।

4. गुस्से में प्राय: वो काम हो जाता है जिससे दूसरों को और खुद को भी नुक्सान पहुचाने के साथ साथ लोगों के दिलों में नफरत पैदा होती हैं।

5. जब भी गुस्सा आये या किसी के ऊपर गुस्सा हो तो उस समय अपने दिमाग और मन को शांत रखें (नियंत्रण करना सीखें) या फिर वहां से कहीं दूसरी जगह पर चले जाएँ।

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