अलिफ़ लैला.
कहानियों की श्रुंखला में विश्व की तीन पुस्तके अद्वितीय मानी गई हैं|
उन्हीं में से एक हैं “अलिफ़-लैला, जो हज़ार कहानियों का एक खूबसूरत गुलदस्ता है,
जिसमें प्रत्येक कहानियां एक फूल की तरह है। इन
कहानियों में प्यार, सुख, दुःख, दर्द, धोखा, बेवपफाई, ईमानदारी, कर्तव्य, भावनाएं जैसे भावों का अद्भुत सम्मिश्रण है, जो
मानव स्वाभाव को भाता हैं| इन्ही कहानियों में से अनेक पर चलचित्रों (Film) का
निर्माण भी हो चुका हैं|
दसवीं शताब्दी ईस्वी के अरब लेखक और इतिहासकार मसऊदी के अनुसार अलिफ़-लैला की कथामाला का आधार
फारसी की प्राचीन कथामाला 'हजार
अफसाना' है। अलिफ़-लैला की कई कहानियाँ
जैसे 'मछुवारा और जिन्न'
'कमरुज्जमा और बदौरा' आदि कहानियाँ सीधे 'हजार अफसाना' से यथावत ली गई
हैं।
अलिफ लैला एक ऐसी नवयुवती की कहानी है, जिसने एक ज़ालिम बादशाह से विवाह करने के बाद न केवल उसका हृदय परिवर्तित कर दिया,
अपितु अनेक नवयुवतियों के जीवन का भी
रक्षण किया था।
उसकी कथा के अनुसार, बादशाह
शहरयार अपनी मलिका की बेवपफाई से दुःखी होकर, उसका और उसकी सभी दासियों का कत्ल कर देता है और
प्रतिज्ञा करता है कि रोजाना एक स्त्री के साथ विवाह करूंगा और अगली सुबह उसे
कत्ल कर दूंगा और वह ऐसा करने भी लगा जिससे पूरा राज्य चिंता ग्रस्त हो गया था
किन्तु उसका समाधान किसी के वश में नहीं था और न ही राजा के विरुद्ध किसी का साहस
हो होता था|
बादशाह के नफऱत से उत्पन्न नारी जाति के प्रति इस अत्याचार को रोकने के
लिए, अन्तोगत्वा
बादशाह के वजीर की पुत्री शहरजाद उससे शादी करती है। किस्से-कहानी सुनने का शौकीन
बादशाह को, विविध् प्रकार की कहानियां सुनाती है, जो हज़ार रातों में पूरी होती है। कहानी पूरी सुनने की लालसा में बादशाह अपनी
दुल्हन का
कत्ल नहीं कर पाता और धीरे-धीरे उसे, अपनी बेगम से प्यार हो जाता है। अपनी बेगम की बुद्धिमिता से
प्रभावित बादशाह औरतों के प्रति अपने मन में उत्पन्न नफऱत
को समाप्त करने के अलावा अपनी प्रतिज्ञा
भी तोड़ देता है और अंत में अपनी बेगम के साथ हंसी-खुशी रहने लगता है।
मेरा आपसे एक विशेष अनुरोध भी हैं कि आप कमेन्ट में अपना अभिमत
अवश्य दर्शित कीजिये ताकि अपना संवाद भी कायम हो सकें|
अब आपको इस
अनुक्रम में प्रतिदिन रोचक कहानी पढने को उपलब्ध होगी|
धन्यवाद.
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