भगवान राम की बहन “शांता”
वाल्मीकि रामायण के बाद दक्षिण भारत में अनेक रामायण लिखी गई। दक्षिण भारतीय लोगों के जीवन में भगवान राम का बहुत महत्व है। दक्षिण में श्रीराम ने अपनी सेना का गठन किया तथा रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी। तेलगु में भास्कर रामायण, रंगनाथ रामायण, भोल्ल रामायण, रघुनाथ रामायणम् की रचना हुई हैं। मलयालम में रामचरितम् रामायण हैं तो कन्नड़ में कुमुदेन्दु रामायण, तोरवे रामायण, रामचन्द्र चरित पुराण, बत्तलेश्वर रामायण और तमिल में कंबरामायण रामायण हैं।
दक्षिणी की रामायणों के अनुसार भगवान राम की एक बहन भी थीं, जो उनसे बड़ी थी। उनका नाम शांता था, जो चारों भाइयों से बड़ी थीं। शांता, राजा दशरथ और कौशल्या की पुत्री थीं। शांता जब पैदा हुई, तब अयोध्या में 12 वर्षों तक अकाल पड़ा। ऐसा कथन भी राजा दशरथ को सुनाई पड़ा था कि अकाल का कारण किसी रूप में “शांता” हैं इसलिए राजा दशरथ ने अपनी साली वर्षिणी जो कि अंगदेश के राजा रोमपद कि पत्नी और नि:संतान थी, को दत्तक दे दिया था| शांता का पालन-पोषण राजा रोमपद और उनकी पत्नी वर्षिणी ने किया, जो महारानी कौशल्या की बहन अर्थात श्री राम की मौसी थीं। दशरथ शांता को अयोध्या बुलाने से इसीलिए डरते थे डरते थे इसलिए कि कहीं फिर से अकाल नहीं पड़ जाए। रोमपद और उनकी पत्नी वर्षिणी ने शांता का विवाह महर्षि विभाण्डक के पुत्र “ऋंग-ऋषि” से कर दिया था| ऋंग-ऋषि ने ही राजा दशरथ के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ कराया, जिसके बाद राम सहित भाइयो का जन्म हुआ था|
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