हनुमान जी सदा ब्रह्मचारी रहें। शास्त्रों में हनुमान जी की शादी होने का वर्णन मिलता है। लेकिन ये शादी भी हनुमान जी ने वैवाहिक सुख प्राप्त करने की इच्छा से नहीं की, बल्कि उन 4 प्रमुख विद्याओं की प्राप्ति के लिए की थी, जिनका ज्ञान केवल एक विवाहित को ही दिया जा सकता था।
कथा के अनुसार हनुमानजी ने सूर्य-देवता को अपना गुरु बनाया था। सूर्य-देवता ने नौ प्रमुख विद्याओं में से पांच विद्या अपने शिष्य हनुमान को सिखा दी थी, लेकिन शेष चार विद्याओं को सिखाने की बारी आई, तब एक बाधा उत्पन्न हो गई| ये चार विध्दायें सीखने के लिए विवाहित होना आवश्यक हैं इसलिए सूर्यदेव ने हनुमानजी से शादी कर लेने के लिए कहा था। अपने गुरु की आज्ञा से हनुमान ने विवाह करने का निश्चय कर लिया। अब समस्या ऐसी कन्या की थी जो मात्र इस प्रयोजनार्थ विवाह के लिए तैयार हो ताकि हनुमानजी सही उस कन्या की मर्यादाओं का उल्लघन भी न हो और न ही दाम्पत्य के निर्वहन का उत्तरदायित्व दोनों पर आन पड़े| अतएव हनुमानजी ने सूर्यदेव से ही इस सम्बन्ध में आग्रह किया|
तब सूर्य-देव ने अपनी परम तेजस्वी पुत्री “सुवर्चला” से हनुमान को शादी करने की प्रस्ताव दिया क्योकि सुवर्चला , का लक्ष्य तपस्या के अतिरिक्त और कुछ नहीं था और वह तपस्यारत ही थी|
विद्वानों के बीच सामंजस्य का अभाव नहीं होता| पिता सूर्यदेव की मध्यस्था और सलाह से सुवर्चला सहमत हो गई, क्षणिक-काल के लिए तपस्या में व्यवधान देकर हनुमानजी से शादी हो गई और शादी के तुरंत पश्चात वह अपनी तपस्या स्थली को रवाना होकर, पुन: अखण्ड तपस्या में लीन हो गई| इससे हनुमानजी और सुवर्चला के व्रत में किसी भी प्रकार का खंडन नहीं आया|
अब हनुमान के विवाहित हो जाने के कारण अवशेष विद्याओं से भी सूर्यदेव ने हनुमान को दीक्षित कर दिया|
हनुमान जी का यह विवाह मात्र एक रस्म था| इसे उसी तरह समझ लीजिये जैसे किसी कन्या का मांगलिक दोष शांत करने के लिए पूर्व में उसका विवाह- शालीग्राम इत्यादि से करवा दिया जाता था|
हनुमान जी ने प्रत्येक स्त्री को मां के समान दर्जा दिया है। यही कारण है कि किसी भी स्त्री को अपने सामने प्रणाम करते हुए नहीं देख सकते बल्कि स्त्री शक्ति को वे स्वयं नमन करते हैं। यदि महिलाएं चाहे तो हनुमान जी की सेवा में दीप अर्पित कर सकती हैं। हनुमान जी की स्तुति कर सकती हैं। हनुमान जी को प्रसाद अर्पित कर सकती हैं। लेकिन 16 उपचार, जिनमें चरण स्पर्श, मुख्य स्नान, वस्त्र, चोला चढ़ाना आता हैं, ये सब सेवाएं किसी महिला के द्वारा किया जाना, हनुमानजी को स्वीकार नहीं हैं और महिलाओं को करना भी नहीं चाहिए|
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