अनाज के व्यापारी की कहानी- अलिफ लैला
गृहस्वामी ने ढेर सारी विशेष राख, साबुन और गर्म पानी का प्रबंध कर दिया। उस आदमी ने एक बार फिर इनकार किया किंतु सबके जोर देने पर एक बार डरते-डरते एक दाना मुँह में रख लिया। हम लोगों को उस की हिचक से भी आश्चर्य हुआ और इस बात से भी कि उस ने केवल चार उँगलियों से खाया, अँगूठे का प्रयोग नहीं किया। अब हम लोगों को याद आया कि वह पहले भी जब भोजन कर रहा था तो अँगूठे का प्रयोग नहीं कर रहा था। गृहस्वामी ने कहा, 'आप अजीब तरह से खा रहे हैं, खाने में अँगूठे का प्रयोग क्यों नहीं करते, इस से आप को आसानी होगी।'
उस आदमी ने हाथ फैला कर दिखाया तो उसमें अँगूठा था ही नहीं। गृहस्वामी तथा अन्य अतिथियों ने पूछा कि आपके अँगूठे का क्या हुआ तो वह बोला कि मुझ पर एक बार ऐसी मुसीबत पड़ी जिसे कहना मुश्किल है, उसी विपत्ति के कारण मेरे दोनों हाथों और दोनों पैरों के अँगूठे काट लिए गए। लोगों ने उस से वह वृत्तांत सुनाने को कहा। उस ने एक सौ चालीस बार हाथ धोए और फिर अपनी कहानी शुरू की।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें