(लगातार-सम्पूर्ण
श्रीमद्भागवत पुराण)
श्रीमद्भागवत महापुराण:
चतुर्थ स्कन्ध: चतुर्विंश
अध्यायः श्लोक 69-79
का हिन्दी अनुवाद
इस लोक में सब प्रकार के कल्याण-साधनों में मोक्षदायक ज्ञान ही सबसे श्रेष्ठ है। ज्ञान-नौका पर चढ़ा हुआ पुरुष अनायास ही इस दुस्तर संसार सागर को पार कर लेता है। यद्यपि भगवान् की आराधना बहुत कठिन है-किन्तु मेरे कहे हुए इस स्तोत्र का जो श्रद्धापूर्वक पाठ करेगा, वह सुगमता से ही उनकी प्रसन्नता प्राप्त कर लेगा। भगवान् ही सम्पूर्ण कल्याण साधनों के एकमात्र प्यारे-प्राप्तव्य हैं। अतः मेरे गाये हुए इस स्तोत्र के गान से उन्हें प्रसन्न करके वह स्थिरचित्त होकर उनसे जो कुछ चाहेगा, प्राप्त कर लेगा। जो पुरुष उषःकाल में उठकर इसे श्रद्धापूर्वक हाथ जोड़कर सुनता या सुनाता है, वह सब प्रकार के कर्मबन्धनों से मुक्त हो जाता है। राजकुमारों! मैंने तुम्हें जो यह परमपुरुष परमात्मा का स्तोत्र सुनाया है, इसे एकाग्रचित्त से जपते हुए तुम महान् तपस्या करो। तपस्या पूर्ण होने पर इसी से तुम्हें अभीष्ट फल प्राप्त हो जायेगा।
साभार krishnakosh.org
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