दरिद्रता नाश के लिये उपाय.
नीचे दिये गये स्त्रोत्र के नियमित पाठ से दरिद्रता का नाश हो जाता हैं, चाहे वह किसी भी प्रकार के दोष से उत्पन्न हुई हों. इसके पाठ के पूर्व पात्र-वर्ग (साधू, संत, सन्यासी, ब्राह्मण) मानसिक पूजन कर सकते हैं परन्तु अन्य के लिये कम से कम शिवजी का पंचोपचार पूजन आवश्यक हैं. यह स्त्रोत्र हैं, अतएव इसके पाठ में विनियोग की आवश्यकता नहीं है. स्त्रोत्र पाठ के पूर्व इसके रचियता ऋषि वशिष्ठ जी के नाम का स्मरण करते हुए आचमनी से दाहिने हाथ में जल लेकर भूमि में छोड़ देना ही पर्याप्त हैं. पाठ के अंत में महामृत्युंजय मन्त्र का जाप २७, ५४ या १०८ बार करने से शीघ्रगामी प्रभाव परिलक्षित होता हैं.
||दारिद्रय्दहन शिवस्तोत्रम||
(श्री वशिष्ठ कृतम्)
नीचे दिये गये स्त्रोत्र के नियमित पाठ से दरिद्रता का नाश हो जाता हैं, चाहे वह किसी भी प्रकार के दोष से उत्पन्न हुई हों. इसके पाठ के पूर्व पात्र-वर्ग (साधू, संत, सन्यासी, ब्राह्मण) मानसिक पूजन कर सकते हैं परन्तु अन्य के लिये कम से कम शिवजी का पंचोपचार पूजन आवश्यक हैं. यह स्त्रोत्र हैं, अतएव इसके पाठ में विनियोग की आवश्यकता नहीं है. स्त्रोत्र पाठ के पूर्व इसके रचियता ऋषि वशिष्ठ जी के नाम का स्मरण करते हुए आचमनी से दाहिने हाथ में जल लेकर भूमि में छोड़ देना ही पर्याप्त हैं. पाठ के अंत में महामृत्युंजय मन्त्र का जाप २७, ५४ या १०८ बार करने से शीघ्रगामी प्रभाव परिलक्षित होता हैं.
||दारिद्रय्दहन शिवस्तोत्रम||
(श्री वशिष्ठ कृतम्)
विश्वेशराय नरकार्णवतारणाय कर्णामृताय शशिशेखरभूषणाय |
कर्पूरकुंदधवलाय जटाधराय दारिद्रय्दुःख दहनाय नम:शिवाय ||१||
गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजंगाधिपकड्कणाय |
गंगाधराय गजराजविमर्दनाय दारिद्रय्दुःख दहनाय नम:शिवाय ||२||
भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय |
ज्योतिर्मयाय पुनरुद्भबवारणाय दारिद्रय्दुःख दहनाय नम:शिवाय ||३||
चर्माम्बराय शवभस्मविलेपनाय भालेक्षणाय फणिकुण्लमण्डिताय |
मज्जीरपादयुगलाय जटाधराय दारिद्रय्दुःख दहनाय नम:शिवाय ||४||
पञ्चांननाय फणिराजविभूषणाय हेमांशुशुकाय भुवनत्रयमण्डनाय |
आनन्दभूमिवरदाय तमोहराय दारिद्रय्दुःख दहनाय नम:शिवाय ||५||
भानुप्रियाय दुरितार्णवतारणाय कालान्ताय कमलासनपूजिताय |
नेत्रत्रेयाय शुभलक्षणलक्षिताय दारिद्रय्दुःख दहनाय नम:शिवाय ||६||
रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय नागप्रियाय नागराज निकेतनाय |
पुण्याय पुण्यचरिताय सुरार्चिताय दारिद्रय्दुःख दहनाय नम:शिवाय ||७||
मुक्तिश्वराय फलदाय गणेश्वरायगीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय |
मातड़्गचर्मवसनाय महेश्वराय दारिद्रय्दुःख दहनाय नम:शिवाय ||८||
गौरिविलास भुवनाय महोदाय पञ्चाननाय शरणागत रक्षकाय |
शर्वाय सर्वजगतामधिपाय तस्मै दारिद्रय्दुःख दहनाय नम:शिवाय ||९||
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