क्या मन्त्र जाप का फल, सबके लिए एकसा होता हैं?


क्या मन्त्र जाप का फल
सबके लिए एकसा होता हैं?

रामकृष्ण परमहंस से किसी जिज्ञासु ने पुछा-

“क्या मंत्रजप सबके लिए एक समान फलदायक होते हैं?” उन्होंने उत्तर दिया-नहीं। ऐसा क्यों? के उत्तर में परमहंस जी ने जिज्ञासु को एक कथा सुनाई।

एक राजा था। उसका मंत्री नित्य जाप करता था। राजा ने जप का फल पूछा तो उसने कहा-“वह सबके लिए समान नहीं होता।” इस पर राजा को असमंजस हुआ और कारण बताने का आग्रह करने लगा। मंत्री बहुत दिन तक तो टालता रहा, पर एक दिन उपयुक्त अवसर देखकर समाधान कर देने का निश्चय किया।

मंत्री और राजा, एकांत-वार्ता कर रहे थे। एक छोटा बालक भी वहां पर खड़ा था। मंत्री ने बच्चे से कहा-“राजा साहब के मुंह पर पांच चपत जमाओं, मंत्री की बात पर बच्चे ने ध्यान नहीं दिया और जैसे का तैसा खड़ा रहा।” इस अपमान पर राजा को बहुत क्रोध आया और उसने बच्चे को हुक्म दिया-“मंत्री के मुंह पर जोर से पांच चपत लगाओं। बच्चा तुरंत बढ़ा और उसने तड़ातड़ चांटे लगा दिए।”

मंत्री ने निश्चिंतता पूर्वक कहा-“राजन! मंत्रशक्ति इस बच्चे की तरह हैं, जिसे इस बात का विवेक रहता हैं कि किसका कहना मानना चाहिए, किसका नहीं? किस पर अनुग्रह करना चाहिए, किस पर नहीं।”

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