हाथी और
छह अंधे व्यक्ति.
सभी ने हाथी को छूना शुरू किया।
मैं समझ गया, हाथी एक खम्भे की तरह होता है, पहले व्यक्ति ने हाथी का पैर छूते हुए कहा। अरे नहीं, हाथी तो रस्सी की तरह होता है, दूसरे व्यक्ति ने पूँछ पकड़ते हुए कहा। मैं बताता हूँ, ये तो पेड़ के तने की तरह है, तीसरे व्यक्ति ने सूंढ़ पकड़ते हुए कहा।
तुम लोग क्या बात कर रहे हो, हाथी एक बड़े हाथ के पंखे की तरह होता है, चौथे व्यक्ति ने कान छूते हुए सभी को समझाया। नहीं-नहीं, ये तो एक दीवार की तरह है, पांचवे व्यक्ति ने पेट पर हाथ रखते हुए कहा।
ऐसा नहीं है, हाथी तो एक कठोर नली की तरह होता है, छठे व्यक्ति ने अपनी बात रखी। और फिर सभी आपस में बहस करने लगे और खुद को सही साबित करने में लग गए। उनकी बहस तेज होती गयी और ऐसा लगने लगा, मानो वो आपस में लड़ ही पड़ेंगे।
तभी वहां से एक बुद्धिमान व्यक्ति गुजर रहा था। वह रुका और उनसे पूछा, क्या बात है, तुम सब आपस में झगड़ क्यों रहे हो? हम यह नहीं तय कर पा रहे हैं कि आखिर हाथी दीखता कैसा है, उन्होंने ने उत्तर दिया।
और फिर बारी बारी से उन्होंने अपनी बात, उस व्यक्ति को समझाई। बुद्धिमान व्यक्ति ने सभी की बात शांति से सुनी और बोला, तुम सब अपनी-अपनी जगह सही हो। तुम्हारे वर्णन में अंतर इसलिए है; क्योंकि तुम सबने हाथी के अलग-अलग भाग छुए हैं, पर देखा जाए तो तुम लोगो ने जो कुछ भी बताया वो सभी बाते हाथी के वर्णन के लिए सही बैठती हैं।
अच्छा!! ऐसा है। सभी ने एक साथ उत्तर दिया। उसके बाद कोई विवाद नहीं हुआ, और सभी खुश हो गए कि वो सभी सच कह रहे थे।
कई बार ऐसा होता है कि हम अपनी बात को लेकर अड़ जाते हैं कि हम ही सही हैं और बाकी सब गलत है। लेकिन यह संभव है कि हमें सिक्के का एक ही पहलु दिख रहा हो और उसके आलावा भी कुछ ऐसे तथ्य हों, जो सही हों। इसलिए हमें अपनी बात तो रखनी चाहिए पर दूसरों की बात भी सब्र से सुननी चाहिए, और कभी भी बेकार की बहस में नहीं पड़ना चाहिए। वेदों में भी कहा गया है कि एक सत्य को कई तरीके से बताया जा सकता है। तो, जब अगली बार आप ऐसी किसी बहस में पड़ें तो याद कर लीजियेगा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि आपके हाथ में सिर्फ पूँछ है और बाकी हिस्से किसी और के पास हैं।
(awgpblogs.blogspot.com)
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