लक्ष्मीजी का वाहन है-उल्लू, पर उल्लू नहीं हैं.


लक्ष्मीजी का वाहन है-उल्लू,
पर उल्लू नहीं हैं.

भारतीय सांस्कृतिक में उल्लू को बहुत महत्व दिया जाता है, क्योंकि यह पक्षी मां लक्ष्मीजी का वाहन है। उल्लू को किसी भी धर्म ग्रंथ में मूर्ख नहीं माना गया है, यानी उल्लू, उल्लू नहीं है। लिंगपुराण में (2, 2.7-10) कहा गया है कि नारद मुनि ने मानसरोवरवासी उलूक से संगीत शिक्षा ग्रहण करने के लिए उपदेश लिया था। इस उलूक की हू हू हू सांगीतिक स्वरों में निकलती थी।

वाल्मीकि रामायण (6.17.19) में उल्लू को मूर्ख के स्थान पर अत्यन्त चतुर कहा गया। भगवान श्रीराम जब रावण को मारने में सफल नहीं हो पाते, उसी समय उनके पास रावण का भाई विभीषण आता है। तब सुग्रीव राम से कहते हैं कि उन्हें शत्रु की उलूक-चतुराई से बचकर रहना चाहिए।

ऋषियों ने गहरे अवलोकन तथा समझ के बाद ही उलूक को श्रीलक्ष्मी का वाहन बताया था। उन्हें मालूम था कि पाश्चात्य संस्कृति में भी उल्लू को विवेकशील माना है। तंत्र शास्त्र अनुसार जब लक्ष्मी एकांत, सूने स्थान, अंधेरे, खंडहर, पाताल लोक आदि स्थानों पर जाती हैं, तब वह उल्लू पर सवार होती हैं। तब उन्हें उलूक वाहिनी कहा जाता है। उल्लू पर विराजमान लक्ष्मी अप्रत्यक्ष धन अर्थात काला धन कमाने वाले व्यक्तियों के घरों में उल्लू पर सवार होकर जाती हैं।

उल्लू की सवारी.

महालक्ष्मीजी मूलतः शुक्र ग्रह की अधिष्टात्री देवी हैं तथा लक्ष्मीजी की हर सवारी गरुड़, हाथी, सिंह और उल्लू सभी राहू घर को संबोधित करते हैं। कालपुरुष सिद्धांत के अनुसार शुक्र धन और वैभव के देवता हैं और व्यक्ति की कुण्डली में शुक्र धन और दाम्पत्य के स्वामी है।

कामपुरुष सिद्धांत के अनुसार राहू को पाताल का स्थान प्राप्त है तथा कुण्डली में राहू का पक्का घर छठा स्थान होता है और राहू को कुण्डली के भाव नंबर आठवें, तीसरे और छठे में श्रेष्ठ स्थान में माना गया है। कुण्डली में काला धन अथवा छुपा हुआ धन छठे और आठवें भाव से दिखता है।

उल्लू भी होते हैं चमत्कारी.

तंत्र शास्त्र के अनुसार लक्ष्मी वाहन उल्लू रहस्यमयी शक्तियों का स्वामी है। प्राचीन ग्रीक में उल्लू को सौभाग्य और धन का सूचक माना जाता था। यूरोप में उल्लू को काले जादू का प्रतीक माना जाता है। भारत में उल्लूक तंत्र सर्वाधिक प्रचलित है।

चीनी वास्तु शास्त्र फेंगशुई में उल्लू को सौभाग्य और सुरक्षा का भी पर्याय माना जाता है। जापानी लोग उल्लू को कठिनाइयों से बचाव करने वाला मानते हैं। उल्लू को निशाचर यानी रात का प्राणी माना जाता है और यह अंधेरी रात में भी न सिर्फ देख सकता है बल्कि अपने शिकार पर दूर दृष्टि बनाए रख सकता है।

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