कविता-भजन- दया भी करेंगें-कभी न कभी..


कविता-भजन-
दया भी करेंगें-कभी न कभी..

यदि नाथ का नाम दयानिधि है, तो दया भी करेंगें-
 कभी न कभी
.
दुखहारी हरि, दुखिया जन के, दुःख क्लेश हरेंगे

कभी न कभी
जिस अंग की शोभा सुहावनि है
,
जिस श्यामल रंग में मोहनि है

उस रूप सुधा के सनेहियों के दृग प्याले भरेंगे

कभी न कभी
.
करुणानिधि नाम सुनाया जिन्हें
,
चरणामृत पान कराया जिन्हें
,
सरकार अदालत में गवाह सभी गुजरेंगे

कभी न कभी
.
हम द्वार पै आपके आके पड़े
,
मुद्दत से इसी जिद पर हैं अड़े

भव-सिन्धु तरे जो बड़े तो बड़े बिन्दुतरेंगे-
कभी न कभी
.

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