कुंडली में
भाग्य भाव.
(ज्योतिष)
प्रत्येक व्यक्ति मेहनत करता हैं, सभी को उन्नति की चाह भी रहती हैं, परन्तु चाहकर भी सभी व्यक्तियों को सभी कुछ नहीं मिलता। मेहनत और पुरुषार्थ को यदि भाग्य का साथ मिले तो व्यक्ति दिनों दिन सफलता की ऊंचाईयां चढ़ने लगता हैं। आप भी अपने भाग्य के सहयोग का लाभ उठा सकते हैं। कुछ लोग अपने जन्म के साथ ही मुंह में चांदी का चम्मच लेकर पैदा होते हैं।
ऐसे लोगों को सभी सुख-सुविधाएं सरलता से प्राप्त होती हैं। धन, उन्नति, सफलता और मान-सम्मान सभी ऐसे व्यक्ति के कदम चूमते हैं। यही कारण है कि प्रत्येक व्यक्ति भाग्य को बल प्रदान करने के लिए प्रयासरत रहता हैं। आज हम इस आलेख के द्वारा यह बताने जा रहे हैं कि अपने भाग्य को चमकाने के लिए आप क्या कर सकते हैं।
सर्वप्रथम यह देखते हैं कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भाग्य बली कब होता हैं। ऐसे कौन से योग होते है जिनके बाद व्यक्ति को रुके हुए कार्य स्वत: बनने लग जाते हैं।
भाग्योदय के ज्योतिषीय योग -
1. जन्मपत्री का नवम भाव भाग्य भाव कहलाता हैं। जब जन्मपत्री में भाग्य भाव का संबंध भाग्येश से बन रहा हों तो व्यक्ति को भाग्यशाली कहा जाता है। जिन व्यक्तियों की कुंड्ली में यह योग बन रहा होता है उन व्यक्तियों का कार्य सरलता से बनने लगते हैं। भाग्य का साथ मिले तो सब लोग जुड़ते हैं वरना सब दूर होते जाते हैं।
2. इसके अतिरिक्त भाग्य भाव में यदि उच्च, वर्गोंतम ग्रह स्थित हों तब भी भाग्य को मजबूत करता हैं। जब भाग्य भाव के स्वामी या भाग्य भाव में स्थित ग्रहों की दशा प्रभावी हों तो व्यक्ति को कार्यों में भाग्य का साथ मिलता हैं। भाग्य को मजबूत करने के लिए नवमेश का रत्न धारण करना चाहिए।
3. जन्मपत्री में नवमेश अष्टम भाव में स्थित हों तो व्यक्ति को भाग्य का सहयोग नहीं मिलता है। बार बार उसके जीवन में अनेक बाधाएं आती हैं।
4. नवमेश यदि षष्ट भाव में स्थित हों तो शत्रुओं के कारण लाभ की स्थिति बनती हैं। छ्ठे भाव में नवमेश की स्थिति उच्चस्थ हों तो व्यक्ति पर कभी कर्ज नहीं रहते हैं और विरोधी भी शांत रहते हैं। इस स्थिति का शुभ फल पाने क लिए नवमेश का रत्न धारण करने से बचना चाहिए।
5. नवमेश यदि चतुर्थ भाव में बली अवस्था में हों तो व्यक्ति को नवमेश का रत्न धारण करने से लाभ मिलता है। ऐसे में भाग्य का सहयोग प्राप्त होने से सफलता और उन्नति प्राप्त होती हैं। ऐसे व्यक्ति को भूमि भवन का के विषयों से लाभ मिलता हैं और समाज में व्यक्ति को सम्मान मिलता है। माता को आदर देना ऐसे व्यक्ति को सुख और सम्मान देता है।
6. नवमेश का नीचस्थ होने पर व्यक्ति को कभी भी नवमेश का रत्न धारण नहीं करना चाहिए, इसके स्थान पर नवमेश से संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए। परन्तु नवमेश का उच्चस्थ होने पर रत्न धारण करना चाहिए और नवमेश की वस्तुओं का दान नहीं करना चाहिए।
7. धर्म भाव में गुरु ग्रह की स्थिति व्यक्ति को धार्मिक और कर्मवादी बनाती हैं। ऐसे व्यक्तियों को पुखराज रत्न धारण करने से यश और सुख की प्राप्ति होती हैं।
8. यदि भाग्य भाव में स्वराशिस्थ सूर्य या मंगल स्थित हों तो व्यक्ति को उच्च पद की प्राप्ति होती हैं। इस स्थिति में भाग्य को बेहतर करने के लिए रत्न धारण करने की जगह सूर्य व मंगल से जुड़े रंगों को अधिक से अधिक प्रयोग में लाना चाहिए।
भाग्यवृद्धि के उपाय -
1. सुबह उठने पर सबसे पहले अपने दोनों हथेलियों के दर्शन करने चाहिए। ज्योतिष शास्त्र यह मानते है कि हथेलियों का दर्शन करने से धन, सम्मान, शिक्षा और सुख सभी प्राप्त होता है। साथ ही भाग्य भी चमकने लगता है। जिन व्यक्तियों को नौकरी में दिक्कतें आ रही हों या नौकरी नहीं मिल रही हों ऐसे व्यक्तियों को यह उपाय अवश्य करना चाहिए।
2. सुबह भगवान सूर्य के दर्शन और ताम्बे के पात्र में लाल रंग के फूल डालर सूर्य देव को अर्पित करने से भी भाग्योदय होता है। भाग्य को बेहतर करने का यह अचूक और सरल उपाय हैं। यह उपाय आत्मविश्वास में भी सुधार करता हैं।
3. भाग्य को मजबूत करने के लिए सूर्योदय से पूर्व उठे। स्नानादि से निवृत होकर ऐसे स्थान पर बैठ जाए जहां से सूर्य देव के दर्शन होते हों। ध्यान रखें कि आपका मुख पूर्व दिशा की ओर हों। उगते हुए सूर्य के दर्शन करें। कुछ पल सूर्य को देखते रहें। इससे भाग्य और तेज दोनों में सुधार होगा।
ऐसे लोगों को सभी सुख-सुविधाएं सरलता से प्राप्त होती हैं। धन, उन्नति, सफलता और मान-सम्मान सभी ऐसे व्यक्ति के कदम चूमते हैं। यही कारण है कि प्रत्येक व्यक्ति भाग्य को बल प्रदान करने के लिए प्रयासरत रहता हैं। आज हम इस आलेख के द्वारा यह बताने जा रहे हैं कि अपने भाग्य को चमकाने के लिए आप क्या कर सकते हैं।
सर्वप्रथम यह देखते हैं कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भाग्य बली कब होता हैं। ऐसे कौन से योग होते है जिनके बाद व्यक्ति को रुके हुए कार्य स्वत: बनने लग जाते हैं।
भाग्योदय के ज्योतिषीय योग -
1. जन्मपत्री का नवम भाव भाग्य भाव कहलाता हैं। जब जन्मपत्री में भाग्य भाव का संबंध भाग्येश से बन रहा हों तो व्यक्ति को भाग्यशाली कहा जाता है। जिन व्यक्तियों की कुंड्ली में यह योग बन रहा होता है उन व्यक्तियों का कार्य सरलता से बनने लगते हैं। भाग्य का साथ मिले तो सब लोग जुड़ते हैं वरना सब दूर होते जाते हैं।
2. इसके अतिरिक्त भाग्य भाव में यदि उच्च, वर्गोंतम ग्रह स्थित हों तब भी भाग्य को मजबूत करता हैं। जब भाग्य भाव के स्वामी या भाग्य भाव में स्थित ग्रहों की दशा प्रभावी हों तो व्यक्ति को कार्यों में भाग्य का साथ मिलता हैं। भाग्य को मजबूत करने के लिए नवमेश का रत्न धारण करना चाहिए।
3. जन्मपत्री में नवमेश अष्टम भाव में स्थित हों तो व्यक्ति को भाग्य का सहयोग नहीं मिलता है। बार बार उसके जीवन में अनेक बाधाएं आती हैं।
4. नवमेश यदि षष्ट भाव में स्थित हों तो शत्रुओं के कारण लाभ की स्थिति बनती हैं। छ्ठे भाव में नवमेश की स्थिति उच्चस्थ हों तो व्यक्ति पर कभी कर्ज नहीं रहते हैं और विरोधी भी शांत रहते हैं। इस स्थिति का शुभ फल पाने क लिए नवमेश का रत्न धारण करने से बचना चाहिए।
5. नवमेश यदि चतुर्थ भाव में बली अवस्था में हों तो व्यक्ति को नवमेश का रत्न धारण करने से लाभ मिलता है। ऐसे में भाग्य का सहयोग प्राप्त होने से सफलता और उन्नति प्राप्त होती हैं। ऐसे व्यक्ति को भूमि भवन का के विषयों से लाभ मिलता हैं और समाज में व्यक्ति को सम्मान मिलता है। माता को आदर देना ऐसे व्यक्ति को सुख और सम्मान देता है।
6. नवमेश का नीचस्थ होने पर व्यक्ति को कभी भी नवमेश का रत्न धारण नहीं करना चाहिए, इसके स्थान पर नवमेश से संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए। परन्तु नवमेश का उच्चस्थ होने पर रत्न धारण करना चाहिए और नवमेश की वस्तुओं का दान नहीं करना चाहिए।
7. धर्म भाव में गुरु ग्रह की स्थिति व्यक्ति को धार्मिक और कर्मवादी बनाती हैं। ऐसे व्यक्तियों को पुखराज रत्न धारण करने से यश और सुख की प्राप्ति होती हैं।
8. यदि भाग्य भाव में स्वराशिस्थ सूर्य या मंगल स्थित हों तो व्यक्ति को उच्च पद की प्राप्ति होती हैं। इस स्थिति में भाग्य को बेहतर करने के लिए रत्न धारण करने की जगह सूर्य व मंगल से जुड़े रंगों को अधिक से अधिक प्रयोग में लाना चाहिए।
भाग्यवृद्धि के उपाय -
1. सुबह उठने पर सबसे पहले अपने दोनों हथेलियों के दर्शन करने चाहिए। ज्योतिष शास्त्र यह मानते है कि हथेलियों का दर्शन करने से धन, सम्मान, शिक्षा और सुख सभी प्राप्त होता है। साथ ही भाग्य भी चमकने लगता है। जिन व्यक्तियों को नौकरी में दिक्कतें आ रही हों या नौकरी नहीं मिल रही हों ऐसे व्यक्तियों को यह उपाय अवश्य करना चाहिए।
2. सुबह भगवान सूर्य के दर्शन और ताम्बे के पात्र में लाल रंग के फूल डालर सूर्य देव को अर्पित करने से भी भाग्योदय होता है। भाग्य को बेहतर करने का यह अचूक और सरल उपाय हैं। यह उपाय आत्मविश्वास में भी सुधार करता हैं।
3. भाग्य को मजबूत करने के लिए सूर्योदय से पूर्व उठे। स्नानादि से निवृत होकर ऐसे स्थान पर बैठ जाए जहां से सूर्य देव के दर्शन होते हों। ध्यान रखें कि आपका मुख पूर्व दिशा की ओर हों। उगते हुए सूर्य के दर्शन करें। कुछ पल सूर्य को देखते रहें। इससे भाग्य और तेज दोनों में सुधार होगा।
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