कविता-भजन- मन राम कृष्ण बोल..


कविता-भजन-
 मन राम कृष्ण बोल..

हीरा जैसी श्वांस बातों में बीती जाय रे ,
 मन राम कृष्ण बोल

गंगा यमुना खूब नहाया गया न मन का मैल

घर-धंधों में लगा हुआ है ज्यों कोल्हू का बैल

तेरे जीवन की आशा बातों में बीती जाय रे

 मन राम कृष्ण बोल

किया न पौरुष आकर जग में दिया न कुछ भी दान

तेरा-मेरा करता-करता निकल गया यह प्राण

जैसे पानी बीच बताशा बातों में बीती जाय रे
,
 मन राम कृष्ण बोल

पाप गठरिया सिर पर लादे रहा भटकता रोज
,
प्रेम सहित राधा माधव का किया न कुछ भी खोज

झूठा करता रहा तमाशा, बातों में बीती जाय रे
,
मन राम कृष्ण बोल

नस-नस में प्रीत, रोम-रोम में राम बसा है जान

प्रकृत बिन्दुके कण-कण में उसको तू पहचान

उससे मिलने की अभिलाषा बातों में बीती जाय रे
,
 मन राम कृष्ण बोल

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