नवरात्र.
(कितनी, कब और
क्यों मनाई जाती हैं)
वर्ष 2018 में मनाई जाने वाली प्रचलित नवरात्रि की जानकारी नीचे लिखे अनुसार हैं..
चैत्र (वासंती) नवरात्र.....18 से 26 मार्च तक। सुबह 07 बजकर 29 मिनट से लेकर 08 बजकर 27 मिनट तक घटस्थापना का शुभ मुहूर्त है।
आश्विन (शारदीय) महानवरात्र.....10 से 19 अक्तूबर
नवरात्रि से संबंधित कथा।
लंका-युद्ध में ब्रह्माजी ने श्रीराम से रावण वध के लिए चंडी देवी का पूजन कर देवी को प्रसन्न करने को कहा और बताए अनुसार चंडी पूजन और हवन हेतु दुर्लभ एक सौ आठ नीलकमल की व्यवस्था की गई। वहीं दूसरी ओर रावण ने भी अमरता के लोभ में विजय कामना से चंडी पाठ प्रारंभ किया। यह बात इंद्र देव ने पवन देव के माध्यम से श्रीराम के पास पहुँचाई और परामर्श दिया कि चंडी पाठ यथासभंव पूर्ण होने दिया जाए। इधर हवन सामग्री में पूजा स्थल से एक नीलकमल रावण की मायावी शक्ति से गायब हो गया और राम का संकल्प टूटता-सा नजर आने लगा। भय इस बात का था कि देवी माँ रुष्ट न हो जाएँ। दुर्लभ नीलकमल की व्यवस्था तत्काल असंभव थी, तब भगवान राम को सहज ही स्मरण हुआ कि मुझे लोग 'कमलनयन नवकंच लोचन' कहते हैं, तो क्यों न संकल्प पूर्ति हेतु एक नेत्र अर्पित कर दिया जाए और प्रभु राम जैसे ही तूणीर से एक बाण निकालकर अपना नेत्र निकालने के लिए तैयार हुए, तब देवी ने प्रकट हो, हाथ पकड़कर कहा- राम मैं प्रसन्न हूँ और विजयश्री का आशीर्वाद दिया। वहीं रावण के चंडी पाठ में यज्ञ कर रहे ब्राह्मणों की सेवा में ब्राह्मण बालक का रूप धर कर हनुमानजी सेवा में जुट गए। निःस्वार्थ सेवा देखकर ब्राह्मणों ने हनुमानजी से वर माँगने को कहा। इस पर हनुमान ने विनम्रतापूर्वक कहा- प्रभु, आप प्रसन्न हैं तो जिस मंत्र से यज्ञ कर रहे हैं, उसका एक अक्षर मेरे कहने से बदल दीजिए। ब्राह्मण इस रहस्य को समझ नहीं सके और तथास्तु कह दिया। मंत्र में जयादेवी... भूर्तिहरिणी में 'ह' के स्थान पर 'क' उच्चारित करें, यही मेरी इच्छा है। भूर्तिहरिणी यानी कि प्राणियों की पीड़ा हरने वाली और 'करिणी' का अर्थ हो गया प्राणियों को पीड़ित करने वाली, जिससे देवी रुष्ट हो गईं और रावण का सर्वनाश करवा दिया। हनुमानजी महाराज ने श्लोक में 'ह' की जगह 'क' करवाकर रावण के यज्ञ की दिशा ही बदल दी।
गुप्त नवरात्र.
गुप्त नवरात्र साल में दो बार आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में मनाए जाते हैं. तंत्र साधना में विश्वास रखने वाले इस दौरान तंत्र साधना करते हैं. जैसे चैत्र और आश्विन मास के नवरात्रों में मां दुर्गा के नौं रूपों की पूजा नियम से की जाती है वैसे ही इन गुप्त नवरात्रों में विशेष लक्ष्य प्राप्ति के लिए साधना की जाती है. इन नवरात्रों में 10 महाविद्याओं की साधना का महत्व है.
गुप्त नवरात्र से सबंधित कथा.
पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में ऋषि श्रंगी एक बार अपने भक्तों को प्रवचन दे रहे थे. तभी भीड़ में से एक स्त्री बोली, 'मेरे पति दुर्व्यसनों से घिरे हैं. इस वजह से मैं धार्मिक कार्य व्रत-उपवास, अनुष्ठान नहीं कर पाती हूं. मैं मां दुर्गा की शरण में जाना चाहती हूं, लेकिन मेरे पति के पापों की वजह से मां की कृपा नहीं हो पा रही है. मेरा मार्गदर्शन करें.' इस तरह का वृतांत सुन ऋषि श्रंगी बोले, 'चैत्र और शारदीय नवरात्र में तो हर कोई पूजा करता है. लेकिन इनके अलावा साल में दो बार गुप्त नवरात्र भी आते हैं. इनमें नौ देवियों की बजाय 10 महाविद्याओं की उपासना की जाती है. अगर तुम विधिवत ऐसा कर सको तो मां दुर्गा की कृपा से तुम्हारा जीवन खुशियों से भर जाएगा.' यह सुन स्त्री ने गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की कठोर साधना की. स्त्री की भक्ति से मां प्रसन्न हुईं और उसके पति को सद्बुद्धि आ गई. स्त्री की गृहस्थी संपन्न और खुशहाल हो गई.
उपरोक्तानुसार वर्ष में चार नवरात्र मनाई जाती हैं, जिसमें प्रथम दर्शित दो नवरात्र बहुत प्रचलित हैं।
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