श्रीमद्भागवत महापुराण: पंचम स्कन्ध: द्वितीय अध्यायः श्लोक 20-23 का हिन्दी अनुवाद

 

(लगातार-सम्पूर्ण श्रीमद्भागवत पुराण)

श्रीमद्भागवत महापुराण:
पंचम स्कन्ध: द्वितीय अध्यायः
श्लोक
20-23 का हिन्दी अनुवाद


इस प्रकार नौ वर्ष में प्रतिवर्ष एक के क्रम से नौ पुत्र उत्पन्न कर पूर्वचित्ति उन्हें राजभवन में ही छोड़कर फिर ब्रह्मा जी की सेवा में उपस्थित हो गयी। ये आग्नीध्र के पुत्र माता के अनुग्रह से स्वभाव से ही सुडौल और सबल शरीर वाले थे।

आग्नीध्र ने जम्बू द्वीप के विभाग करके उन्हीं के समान नाम वाले नौ वर्ष (भूखण्ड) बनाये और उन्हें एक-एक पुत्र को सौंप दिया। तब वे सब अपने-अपने वर्ष का राज्य भोगने लगे।

महाराज आग्नीध्र दिन-दिन भोगों को भोगते रहने पर भी उनसे अतृप्त ही रहे। वे उस अप्सरा  को ही परम पुरुषार्थ समझते थे। इसलिये उन्होंने वैदिक कर्मों के द्वारा उसी लोक को प्राप्त किया, जहाँ पितृगण अपन सुकृतों के अनुसार तरह-तरह के भोगों में मस्त रहते हैं। पिता के परलोक सिधारने पर नाभि आदि नौ भाइयों ने मेरु की मेरुदेवी, प्रतिरूपा, उग्रदंष्ट्री, लता, रम्या, श्यामा, नारी, भद्रा आदि देववीति नाम की नौ कन्याओं से विवाह किया।

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