(लगातार-सम्पूर्ण
श्रीमद्भागवत पुराण)
श्रीमद्भागवत
महापुराण:
षष्ठ
स्कन्ध: अष्टम अध्यायः
श्लोक
16-22 का हिन्दी अनुवाद.
भगवान् धन्वन्तरि कुपथ्य से, जितेन्द्रिय भगवान् ऋषभदेव सुख-दुःख आदि भयदायक द्वन्दों से, यज्ञ भगवान् लोकापवाद से, बलराम जी मनुष्यकृत कष्टों से और श्रीशेषजी क्रोधवश नामक सर्पों के गण से मेरी रक्षा करें। भगवान् श्रीकृष्णद्वैपायन व्यासजी अज्ञान से ततः बुद्धिदेव पाखण्डियों से और प्रमाद से मेरी रक्षा करें। धर्म रक्षा के लिये महान् अवतार धारण करने वाले भगवान् कल्कि पापबहुल कलिकाल के दोषों से मेरी रक्षा करें। प्रातःकाल भगवान् केशव अपनी गदा लेकर, कुछ दिन चढ़ आने पर भगवान् गोविन्द अपनी बाँसुरी लेकर, दोपहर के पहले भगवान् नारायण अपनी तीक्ष्ण शक्ति लेकर और दोपहर को भगवान् विष्णु चक्रराज सुदर्शन लेकर मेरी रक्षा करें। तीसरे पहर में भगवान् मधुसूदन अपना प्रचण्ड धनुष लेकर मेरी रक्षा करें। सायंकाल में ब्रह्मा आदि त्रिमूर्तिधारी माधव, सूर्यास्त के बाद हृषीकेश, अर्धरात्रि के पूर्व तथा अर्धरात्रि के समान अकेले भगवान् पद्मनाभ मेरी रक्षा करें। रात्रि के पिछले प्रहार में श्रीवत्सलांछन श्रीहरि, उषाकाल में खड्गधारी भगवान् जनार्दन, सूर्योदय से पूर्व श्रीदामोदर और सम्पूर्ण सन्ध्याओं में कालमूर्ति भगवान् विश्वेश्वर मेरी रक्षा करें।
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