बृक्ष और उनका शुभाशुभ एवं कामना पूर्ति.
सुख समृद्धि, हरियाली, शुद्ध वायु एवं सेहत के लिये लोग अपने घर के वास्तुदोष एवं नवग्रहों की शांति के लिये अपनी राशी, नक्षत्र के अनुसार पेड़-पौधे लगाते हैं|. 27 नक्षत्र, 12 राशी एवं नवग्रहों के अपने–अपने पेड़-पौधे होते हैं. इन्हें घर या वाटिका में लगाते समय मुहूर्त, दिन, तिथि एवं नक्षत्र को ध्यान में रखना चाहिये.
जिस प्रकार मनुष्य का जन्म एक नक्षत्र विशेष में होता हैं, उसी प्रकार हर बृक्ष का अपना नक्षत्र होता हैं| अपने जन्म नक्षत्र से जिस बृक्ष का नक्षत्र मिलता हो, वह बृक्ष आपका “आराध्य बृक्ष” होता हैं | जिसकी पूजा करने से विशेष लाभ होता हैं| जन्म नक्षत्र से सम्बंधित बृक्षों की जानकारी निम्नानुसार हैं:–
नवग्रहों से सम्बंधित बृक्ष:–
सूर्य....अर्क , चंद्रमा...पलाश, मंगल.....खैर, बुध....अपामार्ग, गुरु...पीपल, शुक्र.....गुलर, शनि....शमी, राहू....दूर्वा, केतु.... कुश.|
जन्म नक्षत्र
|
बृक्ष
|
जन्म नक्षत्र
|
बृक्ष
|
जन्म नक्षत्र
|
बृक्ष
|
आश्विन
|
कुचला
|
भरणी
|
आवंला
|
कृतिका
|
गूलर
|
रोहिणी
|
जामुन
|
मृगशिरा
|
खैर
|
आद्रा
|
कृष्ण/कदंब
|
पुनर्वसु
|
बेलपत्र
|
पुष्य
|
पीपल
|
अश्लेशा
|
नागचम्पा
|
मघा
|
वट (बड)
|
पु.फा.
|
पलाश
|
उ.फा
|
पायरी
|
हस्त
|
पाई
|
चित्रा
|
बेलपत्र
|
स्वाति
|
अर्जुन
|
विशाखा
|
नागकेशर
|
अनुराधा
|
नागकेशर
|
ज्येष्टा
|
सांवर
|
मूल
|
राड
|
पू.षा.
|
वेत
|
उ.षा
|
कटहल
|
श्रवण
|
रुई
|
धनिष्टा
|
शमी
|
सतभिषा
|
कदम्ब
|
पू.भा.
|
आम
|
उ.भा
|
कडवी नीम
|
रेवती
|
मोह.
|
घर के समीप लगाने वाले शुभ बृक्ष.
अशोक, पुन्नाग, मौलश्री, शमी, चंपा, अर्जुन, कटहल, केतकी, चमेली, पाटल, नारियल, नागकेशर, अड़हुल, वट, सेमल, बकुल, शाल, आदि के बृक्ष घर के समीप शुभ होते हैं.
घर के समीप अशुभ बृक्ष.
पाकर, गुलर, आम, नीम, बहेड़ा, पीपल, कपिस्थ, अगस्त, बेर , निर्गुन्डी, इमली, कदम्ब, नीबू, खजूर, बेत , आदि .
दिशा-विशेष में वृक्षों का शुभाशुम.
इनमे से कई बृक्ष ऐसे हैं जो दिशा विशेष में स्थित होने पर शुभ या अशुभ फल देते हैं:– (जैसे)
*पूर्व दिशा में पीपल भय तथा निर्धनता देता हैं परन्तु बरगद कामना पूर्ति करता हैं.
*पश्चिम दिशा में बट बृक्ष होने से राज्य से पीड़ा, स्त्री नाश होता हैं. आम, कैथ, अगस्त तथा निर्गुन्डी धन नाशक होते हैं परन्तु पीपल शुभ होता हैं.
*उत्तर दिशा में गूलर, नेत्र रोग तथा ह्रास करने वाला होता हैं परन्तु पाकर, शुभ होता हैं.
*दक्षिण दिशा में पाकर रोग तथा पराजय देता हैं, आम, कैथ, निर्गुन्डी धननाशक हैं परन्तु गूलर शुभ हैं.
*इशान दिशा में आवला एवं तुलसी बहुत शुभदायक हैं.
*आग्नेय दिशा में पीपल, सेमल, पाकर तथ गूलर पीड़ा देते हैं परन्तु अनार धन–धान्य एवं लक्ष्मी देता हैं.
*नैॠत्य दिशा में इमली शुभ होती हैं.
*वायव्य दिशा में बेल शुभ होता हैं.
पेड़-पौधे घर के पास लगाने हो तो ऐसे लगाये, जिससे उनकी छाया घर पर न पड़े. पूर्व एवं उत्तर दिशा में छोटे फूल वाले बृक्ष लगाने चाहिए. वास्तु के महत्वपूर्ण ग्रन्थ समरागण सूत्रधार के अनुसार :–
बदरी कदली चैव दाडिमी बीज पुरिका.
प्ररोहन्ति गृहे यत्र तदग्रहम न प्ररोहति..
आशय..बेर, केला, अनार, नीबू जिस घर में उगते हैं उस घर की वृध्दि नहीं होती.
अश्वत्थम च कदंब च क्द्लिबीज पूरकम.
ग्रहे यस्य प्ररोहन्ति स गृही न प्ररोहति..
वृहद देवज्ञ नामक ग्रन्थ के अनुसार पीपल, कदंब, केला , नीबू ये जिस घर में होते हैं, उसमे रहने वालो की वंश बृध्दि नही होती हैं.
प्रात:काल तुलसी का दर्शन करने से सुवर्णदान का फल प्राप्त होता हैं.
मत्स्य पुराण में कहा गया हैं कि :–
दस कूपसमावापी, दस वापि अमोह्द.
दस हद सम: पुत्रो दस पुत्र द्रुम..
अर्थात दस कुओ के समान एक बावड़ी, दस बावडियो के समान एक तालब, दस तालब के समान एक बृक्ष होता हैं|
बृक्षों के पूजन से मनोकामना की पूर्ति.
लक्ष्मी प्राप्ति के लिये....... तुलसी, आवला, बेल.
आरोग्य प्राप्ति के लिये......ब्राम्ही, पलाश, अर्जुन, आवला, सूरजमुखी.
सौभाग्य प्राप्ति के लिये.....अशोक, अर्जुन, नारियल, वट.
संतान प्राप्ति के लिये.......आवला, पीपल, नीम, बेल, नागकेशर, गुडहल, अशगंध.
बुध्दी प्राप्ति के लिये.........शंखपुष्पी, पलाश, ब्राम्ही, तुलसी.
सुख प्राप्ति के लिये.........नीम, कदम्ब, तुलसी.
आनन्द प्राप्ति के लिये.......हरसिंगार, रातरानी, मोगरा, गुलाब.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें