साधना में सिद्धि पाने के उपाय.


साधना में सिद्धि पाने के उपाय.
(श्री रामानुजाचार्यजी. शंकराचार्य)

1. विवेक: आत्मा अविनाशी है, जगत विनाशी है। देह हाड़ मांस का पिंजर है, आत्मा अमर है। शरीर के साथ आत्मा का कतई सम्बन्ध नहीं है और वह आत्मा ही परमात्मा है। इस प्रकार का विवेक रखें।

2. विमुखता: जिन वस्तुओं, व्यसनों को ईश्वर प्राप्ति के लिए त्याग दिया, फिर उनकी ओर न देखें, उनसे विमुख हो जायें। घर का त्याग कर दिया तो फिर उस ओर मुड़-मुड़कर न देखें। व्यसन छोड़ दिये तो फिर दुबारा न करें। जैसे कोई वमन करता है, तो फिर उसे चाटने नहीं जाता, ऐसे ही ईश्वर प्राप्ति में विघ्न डालने वाले जो कर्म हैं, उन्हें एक बार छोड़ दिया, तो फिर दुबारा न करें|

3. अभ्यास: भगवान के नाम जप का, भगवान के ध्यान का, सत्संग में जो ज्ञान सुना है; उसका, नित्य- निरंतर अभ्यास करें।

4. कल्याण: जो अपना कल्याण चाहता है, वह औरों का कल्याण करे, निष्काम भाव से औरों की सेवा करे।

5. भगवत्प्राप्तिजन्य क्रिया: जो कार्य तन से करें, उनमें भी भगवत्प्राप्ति का भाव हो, जो विचार मन से करें, उनमें भी भगवत्प्राप्ति का भाव हो और जो निश्चय बुद्धि से करें, उन्हें भी भगवत्प्राप्ति के लिए करें।

6. अनवसाद: कोई भी दु:खद घटना घट जाय तो उसे बार-बार याद करके दु:खी न हों।

7. अनुहर्षात्: किसी भी सुखद घटना में हर्ष से फुलें नहीं।

जो साधक इन सात उपायों को अपनाता है, वह सिद्धि प्राप्त कर लेता है।

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