दान-क्या करे, क्या न करें?


दान-क्या करे, क्या करें?
(ज्योतिष शास्त्र के अनुसार)

सनातन धर्म में दान को महत्वपूर्ण माना गया है। यह मात्र रिवाज़ के लिए नहीं किया जाता, वरन् दान करने के पीछे विभिन्न धार्मिक उद्देश्य बताए गए हैं। हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार दान से इंद्रिय भोगों के प्रति आसक्ति छूटती है। मन की ग्रंथियां खुलती है, जिससे मृत्युकाल में लाभ मिलता है।

दान का महत्व.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मृत्यु आए, इससे पूर्व सारी गांठें खोलना जरूरी है, ‍जो जीवन की आपाधापी के चलते बंध गई है। दूसरे शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि जीवन भर किए गए दुष्कर्मों से मुक्त होने के लिए दान ही सबसे सरल और उत्तम माध्यम माना गया है। वेद और पुराणों में दान के महत्व का वर्णन किया गया है।

क्यों करते हैं हम दान.
यही कारण है कि सनातन हिन्दू धर्म में आज भी विभिन्न वस्तुओं को दान करने के संस्कार का पालन किया जाता है। आजकल प्राय: दान कर्म ज्योतिषीय उपायों के परिपेक्ष्य में किए जाते हैं।

ज्योतिष शास्त्र में दान का महत्व.
व्यक्ति विशेष की जन्म पत्रिका का आंकलन करने के बाद, जीवन में सुख, समृद्धि एवं अन्य इच्छाओं की पूर्ति हेतु दान कर्म करने की सलाह दी जाती है। दान किसी वस्तु का, भोजन का, और यहां तक कि महंगे आभूषणों का भी किया जाता है।

वस्तु का दान.
ज्योतिष शास्त्र में प्रत्येक वस्तु का दान करने के पीछे एक उद्देश्य, उससे मिलने वाला परिणाम एवं उसमें छिपा विज्ञान है। हर वस्तु अपने दान के उपरांत उससे संबंधित परिणाम देती है। ऐसा कहा जाता है कि दान की गई वस्तुओं में कुछ ऐसी शक्ति होती है कि जिसके माध्यम से ही हमें मन मुताबिक फल की प्राप्ति होती है।

दान कर्म.
जन्म कुण्डली के विभिन्न ग्रहों को शांत करने के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के दान कर्म किए जाते हैं, परन्तु परिस्तिथि विशेष पर किया गया दान निष्फल और हानिकारक भी जाता हैं.

ग्रहों की मजबूत के लिए.
जन्म कुण्डली में कुछ ग्रहों को मजबूत एवं दुष्ट ग्रहों को शांत करने के लिए तो हम दान-पुण्य करते ही हैं, लेकिन ग्रहों की कैसी स्थिति में हमें कैसा दान नहीं करना चाहिए, यह भी जानने योग्य बात है।

ऐसा दान ना करें.

क्योंकि ग्रहों की स्थिति के विपरीत यदि दान कर्म किया जाए, तो वह और भी बुरा असर देता है। ऐसे में हमारे द्वारा किया गया दान हमें अच्छा फल देने की बजाय, बुरा फल देना आरंभ कर देता है। और हमें इस बात की जानकारी भी नहीं होती।

जानिए कब न करें दान.
ज्योतिष विधा के अनुसार जन्मकुंडली में जो ग्रह उच्च राशि या अपनी स्वयं की राशि में स्थित हों, उनसे सम्बन्धित वस्तुओं का दान व्यक्ति को कभी भूलकर भी नहीं करना चाहिए। क्योंकि ऐसा दान हमें हमेशा हानि ही देता है।

सूर्य ग्रह.
सूर्य मेष राशि में होने पर उच्च तथा सिंह राशि में होने पर अपनी स्वराशि का होता है। यदि किसी जातक की कुण्डली में सूर्य इन्हीं दो राशियों में से किसी एक में हो तो उसे लाल या गुलाबी रंग के पदार्थों का दान नहीं करना चाहिए। इसके अलावा गुड़, आटा, गेहूं, तांबा आदि दान नहीं करना चाहिए। सूर्य की ऐसी स्थिति में ऐसे जातक को नमक कम करके, मीठे का सेवन अधिक करना चाहिए।

चंद्र ग्रह.
चन्द्र वृष राशि में उच्च तथा कर्क राशि में अपनी राशि का होता है। यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में चंद्र ग्रह ऐसी स्थिति में हो तो, उसे खाद्य पदार्थों में दूध, चावल एवं आभूषणों में चांदी एवं मोती का दान नहीं करना चाहिए। ऐसे जातक के लिए माता या अपने से बड़ी किसी भी स्त्री से दुर्व्यवहार करना हानिकारक हो सकता है। किसी स्त्री का अपमान करने पर ऐसे जातक मानसिक तनाव का शिकार हो जाते हैं।

मानसिक तनाव हो सकता है.
जिस जातक के लिए चंद्र ग्रह स्वराशि हो उसे किसी नल, टयूबवेल, कुआं, तालाब अथवा प्याऊ निर्माण में कभी आर्थिक रूप से सहयोग नहीं करना चाहिए। यह उस जातक के लिए आर्थिक रूप से हानिकारक सिद्ध हो सकता है।


मंगल ग्रह.
मंगल मेष या वृश्चिक राशि में हो तो स्वराशि का तथा मकर राशि में होने पर उच्चता को प्राप्त होता है। यदि आपकी कुण्डली में मंगल ग्रह ऐसी स्थिति में है तो, मसूर की दाल, मिष्ठान अथवा अन्य किसी मीठे खाद्य पदार्थ का दान ना करें।

मीठे खाद्य पदार्थ का दान निषेध.
आपके घर यदि मेहमान आए हों तो उन्हें कभी सौंफ खाने को न दें अन्यथा वह व्यक्ति कभी किसी अवसर पर आपके खिलाफ ही कटु वचनों का प्रयोग करेगा। यदि मंगल ग्रह के प्रकोप से बचना चाहते हैं तो किसी भी प्रकार का बासी भोजन न तो स्वयं खाएं और न ही किसी अन्य को खाने के लिए दें।

बुध ग्रह.
बुध मिथुन राशि में तो स्वराशि तथा कन्या राशि में हो तो उच्च राशि का कहलाता है। यदि किसी जातक की जन्मपत्रिका में बुध उपरोक्त वर्णित किसी स्थिति में है तो, उसे हरे रंग के पदार्थ और वस्तुओं का दान कभी नहीं करना चाहिए।

हरे रंग के वस्त्र. हरे रंग के वस्त्र, वस्तु और यहां तक कि हरे रंग के खाद्य पदार्थों का दान में ऐसे जातक के लिए निषेध है। इसके अलावा इस जातक को न तो घर में मछलियां पालनी चाहिए और न ही स्वयं कभी मछलियों को कभी दाना डालना चाहिए।

बृहस्पति ग्रह.
बृहस्पति जब धनु या मीन राशि में हो तो स्वगृही तथा कर्क राशि में होने पर उच्चता को प्राप्त होता है। जिस जातक की कुण्डली में बृहस्पति ग्रह ऐसी स्थिति में हो तो, उसे पीले रंग के पदार्थ नहीं करना चाहिए। सोना, पीतल, केसर, धार्मिक साहित्य या वस्तुओं आदि का दान नहीं करना चाहिए। इन वस्तुओं का दान करने से समाज में सम्मान कम होता है।

शुक्र ग्रह.
शुक्र ग्रह वृष या तुला राशि में हो स्वराशि का एवं मीन राशि में हो तो उच्च भाव का होता है। जिस जातक की कुण्डली में शुक्र ग्रह की ऐसी स्थिति हो, तो उसे श्वेत रंग के सुगन्धित पदार्थों का दान नहीं करना चाहिए अन्यथा व्यक्ति के भौतिक सुखों में कमी आने लगती है। इसके अलावा नई खरीदी गई वस्तुओं का एवं दही, मिश्री, मक्खन, शुद्ध घी, इलायची आदि का दान भी नहीं करना चाहिए।

शनि ग्रह.
शनि यदि मकर या कुम्भ राशि में हो तो स्वगृही तथा तुला राशि में हो तो उच्च राशि का कहलाता है। यदि आपकी कुण्डली में शनि की स्थिति है तो आपको काले रंग के पदार्थों का दान कभी भूलकर भी नहीं करना चाहिए। इसके अलावा लोहा, लकड़ी और फर्नीचर, तेल या तैलीय सामग्री, बिल्डिंग मैटीरियल आदि का दान नहीं करना चाहिए।

काला रंग.
ऐसे जातक को अपने घर में काले रंग का कोई पशु जैसे कि भैंस अथवा काले रंग की गाय, काला कुत्ता आदि नहीं पालना चाहिए। ऐसा करने से जातक की निजी एवं सामाजिक दोनों रूप से हानि हो सकती है।

राहु ग्रह.
राहु यदि कन्या राशि में हो तो स्वराशि का तथा वृष एवं मिथुन राशि में हो तो उच्च का होता है। जिस जातक की कुण्डली इसमें से किसी भी एक स्थिति का योग बने, तो ऐसे जातक को नीले, भूरे रंग के पदार्थों का दान नहीं करना चाहिए। इसके अलावा अन्न का अनादर करने से परहेज करना चाहिए। जब भी ये खाना खाने बैठें, तो उतना ही लें जितनी भूख हो, थाली में जूठन छोड़ना इन्हें भारी पड़ सकता है।

केतु ग्रह.
केतु यदि मीन राशि में हो तो स्वगृही तथा वृश्चिक या फिर धनु राशि में हो तो उच्चता को प्राप्त होता है। यदि आपकी कुण्डली में केतु उपरोक्त स्थिति में है तो आपको घर में कभी पक्षी नहीं पालना चाहिए, अन्यथा धन व्यर्थ के कामों में बर्बाद होता रहेगा। इसके अलावा भूरे, चित्र-विचित्र रंग के वस्त्र, कम्बल, तिल या तिल से निर्मित पदार्थ आदि का दान नहीं करना चाहिए।

कोई टिप्पणी नहीं: