उन्नति और मन की शुद्घता की शुरूआत करें भोजन से.


उन्नति और मन की शुद्घता
की शुरूआत करें भोजन से.
(सुधांशु जी महाराज)

भोजन सिर्फ पेट भरने और शरीर को पालने के लिए नहीं करना चाहिए। भोजन का उद्देश्य भी सिर्फ इतना ही नहीं है कि आप अपने उदर की ज्वाल को शांत करें और तृष्ण की पूर्ति करें। भोजन करते समय अगर आप कुछ बातों का ध्यान रखेंगे तो स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। मन में उठने वाले बुरे विचारों में कमी आएगी और आत्म उन्नति का रास्ता सरल होगा।

उन्नति सिर्फ बड़ी-बड़ी नौकरी पाना या बड़ा बिजनेसमैन बन जाना नहीं है। उसली उन्नति व्यवहार और आत्मा की सद्गति है। इसकी शुरूआत आप भोजन के दौरान कर सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले जरूरी है कि आपका भोजन शुद्घ हो। गीता में भी कहा गया है कि उत्तम मुनष्य को बासी, दूषित और मन को विचलित करने वाले आहार से बचना चाहिए। इसलिए पवित्र भोजन ग्रहण करें।

जब भोजन करने बैठें तो अपने भोजन का कुछ भाग अलग निकालकर रख लीजिए। वैसे तो नियम है कि अग्नि में आहुति देकर गउ ग्रास निकाल लें। आस-पास में अगर कोई भूखा व्यक्ति बैठा है तो उसका भी ध्यान रखें। भोजन करते समय उसकी तरफ देखते हुए यह सोचें कि यह मेरे भगवान का प्रसाद है। प्रसाद हमेशा मिलजुल कर ग्रहण करना चाहिए।

मेरे परमात्मा ने जो कृपापूर्वक आज मुझे अन्न दिया है मैं उसका ध्न्यवाद करूं। भोजन करते समय कभी किसी प्रकार की शिकायत नहीं कीजिए। भोजन करने के दौरान मन पर किसी प्रकार का बोझ न लादें। प्रसन्न रहें। भगवान का आभार प्रकट करते हुए भोजन ग्रहण करें।

भोजन करते समय एक बात का ख्याल अवश्य रखें कि आप जो भोजन कर रहे हैं वह कैसे प्राप्त हुआ है। आप यह भी सोचें कि मेरी कमाई पवित्र है या चालाकी की।


साभारः विश्व जागृति मिशन

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