आंतरिक उन्नति चाहते हैं, तब इनसे बचिए..
१. असंभव का भाव.....हमारे पास अच्छा आइडिया होता हैं, पर हम पहल नहीं करते| हम पहले ही उसे असंभव मान लेते हैं|
२. हिम्मत हारना.......हम तब कमजोर पड़ते हैं, जब हमें लगता हैं कि इस आइडिया पर आगे बढ़ने के सभी रास्ते बंद हैं|
३. संतुष्ट हो जाना......अपने काम से कभी संतुष्ट न हों| ऐसा हुआ तो आपकी सृजनात्मक क्षमता समाप्त हो जायेगी| संतुष्टि कभी भी प्रेरणादायक नहीं मानी गई हैं|
४. नतीजों से डरना....यह न सोचे कि आप लक्ष्य को सर्वश्रेष्ट अंजाम तक नहीं पंहुचा पाएंगे| ऐसा सोचते ही आप में घबराहट होने लगेगी और आप दबाब में आ जायेंगे|
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