कहीं ऐसा विकल्प हम भी नहीं तलाश लेते?



      
            एक भिखारी बाजार में गा-गाकर भीख मांग रहा था। वहां से गुजर रहे लोगों में से कोई उसे कुछ दे रहा था, तो कोई बस उसे देखकर निकल जा रहा था। कुछ लोग उसे दुत्कार भी रहे थे। वहां मौजूद प्रसिद्ध व्यवसायी हेनरी फोर्ड को उसकी हालत देख तरस आ गया।


            उन्होंने सोचा कि उस भिखारी को भी अपनी हालत सुधारने का मौका मिलना चाहिए। फोर्ड ने भिखारी को भीख देने की जगह कुछ सामान खरीद कर दिए और उन्हें आसपास के गांवों में बेच कर अपना पेट भरने को कहा। कुछ दिन बीत गए तो फोर्ड को वही भिखारी बाजार में फिर हाथ फैलाए खड़ा दिखा।


            जब फोर्ड ने उससे काम के बारे में पूछा तो उसने बताया, 'मैं सामान बेच रहा था, तब एक गांव में मुझे एक अंधा बाज पेड़ के नीचे दिखा। मैंने देखा, दूसरा बाज चोंच में खाना लाया और उसे खिलाने लगा। यह देख मुझे लगा कि भगवान सबकी परवाह करता है। अगर उसने अंधे बाज के लिए भोजन का प्रबंध किया है तो मेरे लिए भी जरूर करेगा, यही सोच कर मैंने काम छोड़ दिया।' उसका किस्सा सुन फोर्ड मुस्कराए।


            फिर उन्होंने कहा, 'यह सही है कि ऊपर वाला कमजोरों का भी ख्याल रखता है, लेकिन वह तुम्हें सबल बनने का विकल्प भी देता है। फिर तुमने अंधा बाज बनने की बजाय, खाना खिलाने वाला बाज बनने का विकल्प क्यों नहीं चुना?' भिखारी निरुत्तर हो गया। उसने फिर कभी भीख न मांगने की कसम खाई। वह फोर्ड के कारखाने में मेहनत से काम करने लगा और सुपरवाइजर बन गया|

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