हमें जीवन में रोजमर्रा के कामों से लेकर महत्वपूर्ण घटनाओं तक किसी न किसी तरह से सलाह की जरूरत पड़ती रहती है। उस समय हमारी संगत पर निर्भर करता है कि हमें कितनी सही सलाह मिल रही है। किसी की एक गलत सलाह हमारा जीवन बरबाद कर सकती है। हमें जीवन भर पछताना पड़ सकता है। हमारे शास्त्रों ने समझाया है कि हमेशा ज्ञानवान, धर्म को जानने वाले और हमारे हितैषी से ही हमें सलाह लेनी चाहिए। गलत आदमी से ली गई सलाह, हमें पतन की राह पर ले जा सकती है।
रामायण इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। जब दशरथ ने राम को युवराज घोषित किया और राज्य अभिषेक की तैयारी का आदेश दिया तो सबसे ज्यादा खुश कैकयी थी। कैकयी दशरथ की सबसे छोटी रानी और राजकुमार भरत की मां थीं।
वो राम को बहुत प्रेम करती थीं और राम भी उन्हें अपनी सगी मां के समान स्नेह रखते थे। जब कैकयी ने अपनी दासी मंथरा से इस बारे में बात की कि आज बहुत हर्ष का दिन है। राम राजा बनने वाले हैं तो मंथरा ने उसे उल्टी सलाह दे दी। उसने कैकयी को कई तरह से भड़काया और राम के लिए वनवास, भरत के लिए राज्य मांगने के लिए तैयार कर लिया। कैकयी ने ऐसा ही किया।
उसने राज्याभिषेक से पहले ही राजा दशरथ से राम के लिए 14 साल का वनवास और भरत को राजा बनाने का वरदान मांग लिया। राम, वन में चले गए, राजा दशरथ ने भी देह त्याग दी, भरत ने राजा बनने से इंकार कर दिया, पूरी प्रजा ने कैकयी का अघोषित बहिष्कार कर दिया। कैकयी का सारा जीवन लगभग दुख और वेदना में ही गुजरा। उसने केवल एक दासी की सलाह मान कर ये कार्य किया।
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