धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व रेवती, इन पञ्च नक्षत्रों की अवधि को “पंचक” कहते हैं| इसका सम्बन्ध ज्योतिष शास्त्र से हैं| इसमें प्रमुखत: निम्नलिखित पञ्च कार्य वर्जित माने गए हैं:-
1. पंचक की अवधि में चारपाई बनवाना या चारपाई बुनना अच्छा नहीं माना जाता। ऐसा करने से कोई संकट उत्पन्न हो सकता है।
2. पंचक की अवधि में जब घनिष्ठा नक्षत्र हो उस समय घास, लकड़ी आदि जलने वाली वस्तुएं इकट्ठी नहीं करना चाहिए, इससे आग लगने का भय रहता है।
3. पंचक की अवधि में दक्षिण दिशा की यात्रा नही करनी चाहिए, क्योंकि दक्षिण में यम का वास होता है जिससे हनी की सम्भावना बनती हैं|
4. पंचक अवधि में जब रेवती नक्षत्र चल रहा हो, उस समय घर की छत नहीं बनाना चाहिए| इससे धन हानि और घर में क्लेश होता है।
5. पंचक में शव का अंतिम संस्कार करने से पहले किसी जानकार पंडित की सलाह अवश्य लेनी चाहिए। यदि ऐसा न हो पाए तो शव के साथ पांच पुतले आटे या कुश से बनाकर अर्थी पर रखना चाहिए और इन पांचों का भी शव की तरह पूर्ण विधि-विधान से अंतिम संस्कार करना चाहिए, तो पंचक दोष समाप्त हो जाता है। ऐसा गरुड़ पुराण में लिखा है।
ऐसा होता है, पंचक के नक्षत्रों का अशुभ प्रभाव
1. धनिष्ठा नक्षत्र में आग लगने का भय रहता है।
2. शतभिषा नक्षत्र में वाद-विवाद होने के योग बनते हैं।
3. पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र - रोग कारक है यानी इस नक्षत्र में बीमारी होने की संभावना सबसे अधिक होती है।
4. उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में धन हानि के योग बनते हैं।
5. रेवती नक्षत्र में नुकसान व मानसिक तनाव होने की संभावना होती है।
पंचक के प्रकार.
1. रोग पंचक
रविवार को शुरू होने वाला पंचक, रोग पंचक कहलाता है। इसके प्रभाव से ये पांच दिन शारीरिक और मानसिक परेशानियों के होते हैं। इस पंचक में किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। हर तरह के मांगलिक कार्यों में ये पंचक अशुभ माना गया है।
2. राज पंचक
सोमवार को शुरू होने वाला पंचक, राज पंचक कहलाता है। इसके प्रभाव से इन पांच दिनों में सरकारी कामों में सफलता मिलती है। राज पंचक में संपत्ति से जुड़े काम करना ही शुभ रहता है।
3. अग्नि पंचक
मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक, अग्नि पंचक कहलाता है। इन पांच दिनों में कोर्ट कचहरी और विवाद आदि के फैसले, अपना हक प्राप्त करने के काम किए जा सकते हैं। इस पंचक में अग्नि का भय होता है। इस पंचक में किसी भी तरह का निर्माण कार्य, औजार और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ माना गया है। इनसे नुकसान हो सकता है।
4. मृत्यु पंचक
शनिवार को शुरू होने वाला पंचक मृत्यु पंचक कहलाता है। नाम से ही पता चलता है कि अशुभ दिन से शुरू होने वाला ये पंचक, मृत्यु के बराबर परेशानी देने वाला होता है। इन पांच दिनों में किसी भी तरह के जोखिम भरे काम नहीं करना चाहिए। इसके प्रभाव से विवाद, चोट, दुर्घटना आदि होने का खतरा रहता है।
5. चोर पंचक
शुक्रवार को शुरू होने वाला पंचक, चोर पंचक कहलाता है। विद्वानों के अनुसार इस पंचक में यात्रा करने की मनाही है। इस पंचक में लेन-देन, व्यापार और किसी भी तरह के सौदे भी नहीं करना चाहिए। इन कार्यो से धन हानि हो सकती है।
इसके अतिरिक्त बुधवार और गुरुवार को शुरू होने वाले पंचक में ऊपर दी गई बातों का पालन करना जरूरी नहीं माना गया है। इन दो दिनों में शुरू होने वाले दिनों में पंचक की अवधि में पांच-कामों को छोड़कर अन्य किसी भी तरह के शुभ काम किए जा सकते हैं।
पंचक में, ये शुभ कार्य कर सकते हैं:-
1. पंचक के नक्षत्रों में शुभ कार्य हो सकते हैं। पंचक में सम्मिलित उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, वार के संयोग से सर्वार्थसिद्धि योग बनाता है इसलिए सर्वार्थसिध्दी का ऐसा संयोग पंचक में प्राप्त हो , तब शुभ कार्य किया जा सकता हैं|
2. पंचक की अवधि में जब धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र हो तब यात्रा, व्यापार, मुंडन आदि शुभ कार्यों में श्रेष्ठ माने गए हैं।
पंचक को भले ही अशुभ माना जाता है, लेकिन इस दौरान सगाई, विवाह आदि शुभ कार्य भी किए जाते हैं। पंचक में आने वाले तीन नक्षत्र पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद व रेवती रविवार को होने से आनंद आदि 28 योगों में से 3 शुभ-योग बनते हैं- चर, स्थिर व प्रवर्ध। इन शुभ योगों से सफलता व धन लाभ का संयोग हो भी बनता हैं|
मुहूर्त चिंतामणि ग्रंथ के अनुसार पंचक के नक्षत्रों का शुभ फल.
1.घनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र- चल संज्ञक माने जाते हैं। इनमें चलित काम करना शुभ माना गया है जैसे- यात्रा करना, वाहन खरीदना, मशीनरी संबंधित काम|
2. उत्तराभाद्रपद नक्षत्र- स्थिर संज्ञक नक्षत्र माना गया है। इसमें स्थिरता वाले काम करना शुभ माना गया हैं जैसे- बीज बोना, गृह प्रवेश, शांति पूजन और जमीन से जुड़े स्थिर कार्य|
3.रेवती नक्षत्र- मैत्री संज्ञक होने से इस नक्षत्र में कपड़े, व्यापार से संबंधित सौदे करना, किसी विवाद का निपटारा करना, गहने खरीदना आदि काम शुभ माने गए हैं।
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