एक बार यशोधन नामक राजा अपने दरबार में दरबारियों से चर्चा कर रहे थे। अचानक यशोधन ने पूछा कि दुनिया में ऐसे तीन कौन से कार्य हैं, जिन्हें करना मनुष्य के लिए सबसे कठिन होता है?
राजा का प्रश्न सुनकर सभी दरबारी विचार मग्न हो गए।
काफी सोचने के बाद एक दरबारी बोला, 'महाराज, भारी-भरकम वजन उठाना, दुनियाँ में सबसे कठिन कार्य है।
'दूसरा दरबारी बोला, 'मेरे विचार में तो पहाड़ पर चढ़ना सबसे दुष्कर कार्य है। यह प्रत्येक व्यक्ति के बस की बात नहीं है।'
यह सुनकर एक अन्य व्यक्ति बोला, 'महाराज,मेरे ख्याल से पानी पर चलना और आग में जलना सबसे मुश्किल है। अग्नि की जरा सी चिंगारी व्यक्ति की जान ले लेती है।
इस प्रकार अपने-अपने अनुसार सभी ने अनेक ऐसे कार्यों को गिना दिया, जिन्हें कठिन माना जा सकता था किंतु राजा किसी के भी जवाब से सहमत नहीं हुए। उन्होंने स्वामी गिरिनंद का बहुत नाम सुना था।
स्वामी गिरिनंद लोगों की सभी समस्याओं का समाधान करते थे।
यशोधन, स्वयं स्वामी गिरिनंद के आश्रम में गए और उन्हें प्रणाम कर उनके पास बैठ गए।
स्वामी जी समझ गए कि राजा कुछ पूछने के लिए उनके पास आए हैं।
स्वामी जी के पूछने पर राजा बोले, 'महाराज, आप मुझे तीन ऐसे कार्य बताइए जो बेहद कठिन हैं।'
यह सुनकर स्वामी गिरिनंद मुस्कराते हुए बोले, 'तीन कठिन कार्य तो मैं बता दूंगा लेकिन तुमको उन कार्यों को करने का प्रयास करना पड़ेगा।'
राजा ने उन कार्यों को करने का वचन दे दिया।
तब स्वामी जी बोले, 'दुनियाँ के तीन कठिनतम कार्य शारीरिक नहीं हैं। वे कुछ और ही हैं। उनमें पहला है-घृणा के बदले प्रेम करना। दूसरा है, अपने स्वार्थ व क्रोध का त्याग और तीसरा है-यह कहना कि मैं गलती पर था।'
यह सुनकर राजा ने कहा, 'आप एकदम सही कह रहे हैं। मुझे आशीर्वाद दें कि मैं ये कार्य कर सकूं।'
स्वामी जी ने राजा को आशीर्वाद दिया।
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