स्वर शास्त्र के चमत्कारिक नुक्शे जो जीवन की दिनचर्या में परिवर्तन लाकर सफलता में सहायक होते हैं, इन्हें परखिये:-
१. सुबह आँख खुलते ही जो स्वर चल रहा हो उस तरफ के हाथ की हथेली मुख पर रखकर उसी तरफ का पैर बिछोने पर से प्रथम धरती पर रखना चाहिए| इससे इच्छा शक्ति का विकास होता हैं| निरंतर करते रहने से इच्छा अनुसार वातावरण का निर्माण होने लगता हैं|
२. सिरदर्द हो तो सीधे लेट जाना चाहिए और दोनों भुजाएँ लम्बी फेला देनी चाहिये तत्पश्चात किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा दोनों भुजाओं की कोहनियाँ के उपर कसकर डोरी बांध देने से सिर दर्द, पांच-दस मिनिट में शांत हो जायेगा| जब दर्द ठीक हो जावे तो डोरियाँ तुरंत खोल दें|
३. यदि आधा सीसी (आधे सिर का दर्द) हो तो इस स्थिति में जिस तरफ माथा दुखता हों, मात्र उस तरफ के हाथ की कोहनी पर डोरी बांधनी चाहिये| दोनों हाथों में बांधने की आवश्यकता नहीं हैं और दर्द शांत होते ही डोरी खोल देना चाहिये|
४. जिसको अजीर्ण की शिकायत सदा बनी रहती हैं, उन्हें हमेशा दाहिने स्वर की स्तिथि में ही भोजन करना चाहिये| नियमितता रखने पर अजीर्ण से सदा के लिये मुक्ति मिल जाती हैं| भोजन करने के बाद १५-२० मिनट बाई करबट लेटने से अधिक लाभ होता हैं|
५. जिनके दांत हिलते हो या दुखते हों, उसे शौच और लघुशंका करते समय ऊपर नीचे के दोनों दांतों की पंक्तियों को आपस में हल्के से दबाकर रखना चाहिये| सदैव ऐसा करने से लाभ प्राप्त होता हैं|
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