जाप माला
के 108 मनके.
जाप करने की कोई भी माला हो, उसमें मनको की संख्या 108 ही होती हैं। सनातन धर्म में 108 की संख्या महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। इसके उद्भव के बारे में अनेक कारण विद्वत जन बताते हैं। उसमें महत्वपूर्ण निम्नानुसार हैं.
एक साल में सूर्य 21,600 कलाएं बदलता है; और साल में दो बार अपनी स्थिति भी बदलता है।
इस कारण छह माह उत्तरायण होता है और छह माह दक्षिणायन। एक अयन की एक स्थिति में 10,800 बार कलाएं सूर्य बदलता है।
इसी 10,800 की संख्या से अंतिम तीन शून्य को हटाकर माला के 108 मोतियों का निर्धारण किया गया है। कहा जाता है कि इस तरह की बनी हुई माला का एक एक दाना सूर्य की एक- एक कला का प्रतीक है।
साथ ही सूर्य ही एकमात्र ऐसे देवता हैं, जो साक्षात दिखाई देते हैं, इस वजह से सूर्य की कलाओं के आधार पर माला के दानों की संख्या 108 निर्धारित की गई।
वहीं दूसरी ओर एक अन्य मान्यता कहती है कि ज्योतिष शास्त्र में कुल 27 नक्षत्र बताए गए हैं। हर नक्षत्र के चार चरण होते हैं। अतएव 27 नक्षत्र गुणित 4 चरण बराबर 108 होते हैं। इसलिए कहा जाता है कि माला का एक-एक दाना इन 27 नक्षत्रों के एक-एक चरण का प्रतिनिधित्व करता है।
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