सम्पूर्ण महाभारत- संक्षिप्त
कथा.
भाग-1
महाभारत ग्रन्थ की महानता और विशालता का अनुमान महाभारत के प्रथम पर्व में उल्लेखित एक श्लोक से लगाया जा सकता है, जिसका अनुवाद इस प्रकार है:--
“जो महाभारत में है वह आपको संसार में कहीं न कहीं अवश्य मिल जायेगा, जो यहाँ नहीं है, वो संसार में आपको अन्यत्र कहीं नहीं मिलेगा”
महाभारत प्राचीन भारत का सबसे बड़ा महाकाव्य है. और हिन्दुओं के सबसे पवित्र धार्मिक ग्रंथों में से एक है। इसमें उस समय का इतिहास लगभग १,११,००० श्लोकों में लिखा हुआ है।
इस पोस्ट से हम महाभारत की सम्पूर्ण कथा संक्षिप्त में प्रकाशित कर रहे हैं, जल्दी ही हम महाभारत की सम्पूर्ण कथा यथावत विस्तार रूप में भी प्रकाशित करेंगे।
इस की पूर्ण कथा का संक्षेप इस प्रकार से है...
1. चन्द्रवंश से कुरुवंश तक की उत्पत्ति।
2. पाण्डु का राज्य अभिषेक।
3. कर्ण का जन्म, लाक्षाग्रह षड्यंत्र तथा द्रौपदी का स्वयंवर।
4. इन्द्रप्रस्थ की स्थापना।
5. पाण्डवों की विश्व विजय और उनका वनवास।
6. शांति दूत श्रीकृष्ण, युद्ध की शुरुआत तथा श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को गीता उपदेश।
7. पितामह भीष्म और आचार्य द्रोण वध।
8. अंगराज कर्ण, मामा शल्य और दुर्योधन वध।
9. दुर्योधन वध और महाभारत युद्ध की समाप्ति।
10. यदुकुल का संहार और पाण्डवों का स्वर्गगमन।
चन्द्रवंश से
कुरुवंश तक की उत्पत्ति.
पुराणो के अनुसार ब्रह्माजी से अत्रि, अत्रि से चन्द्रमा, चन्द्रमा से बुध और बुध से इलानन्दन पुरूरवा का जन्म हुआ। पुरूरवा से आयु, आयु से राजा नहुष और नहुष से ययाति उत्पन्न हुए। ययाति से पुरू हुए। पूरू के वंश में भरत और भरत के कुल में राजा कुरु हुए। कुरु के वंश में शान्तनु का जन्म हुआ। शान्तनु से गंगानन्दन भीष्म उत्पन्न हुए। उनके दो छोटे भाई और थे - चित्रांगद और विचित्रवीर्य। ये शान्तनु से सत्यवती के गर्भ से उत्पन्न हुए थे। शान्तनु के स्वर्गलोक चले जाने पर भीष्म ने अविवाहित रह कर अपने भाई विचित्रवीर्य के राज्य का पालन किया। चित्रांगद बाल्यावस्था में ही चित्रांगद नाम वाले गन्धर्व के द्वारा मारे गये। फिर भीष्म संग्राम में विपक्षी को परास्त करके काशिराज की दो कन्याओं - अंबिका और अंबालिका को हर लाये। वे दोनों विचित्रवीर्य की भार्याएँ हुईं। कुछ काल के बाद राजा विचित्रवीर्य राजयक्ष्मा से ग्रस्त हो स्वर्गवासी हो गये। तब सत्यवती की अनुमति से व्यासजी के द्वारा अम्बिका के गर्भ से राजा धृतराष्ट्र और अम्बालिका के गर्भ से पाण्डु उत्पन्न हुए। धृतराष्ट्र ने गान्धारी के गर्भ से सौ पुत्रों को जन्म दिया, जिनमें दुर्योधन सबसे बड़ा था और पाण्डु के युधिष्टर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव आदि पांच पुत्र हुए।
क्रमश: अगले अंक भाग-2 में.
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