कविता-भजन. मुझसे अधम अधीन उबारे ..


कविता-भजन.
मुझसे अधम अधीन उबारे ..

मुझसे अधम अधीन उबारे जाएँगे,
तो आप दीनबंधु पुकारे जाएँगे।
जो बिक चुके हैं और ख़रीदा है, आपने,
अब वह गुलाम ग़ैर के द्वारे जाएँगे।
पृथ्वी के भार आपने सौ बार उतारे,
क्या मेरे पाप भार उतारे जाएँगे।
खामोश रहूँगा मैं भी, गर आप ये कह दो,
अब मुझसे पातकी कभी तारे जाएँगे।
तब तक चरण आपके संतोष पाएँगे,
दृग बिन्दुमें जब तक ये पखारे जाएँगे।

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