कविता-भजन-
ऐ श्याम
सुंदर ऐ मुरलीधर..
मुझ पर भी दया की कर दो नज़र,
ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर ।
कुछ दीनों के दुःख की ले लो खबर ,
ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर ।
आरत जन तुमको पुकार रहे हैं ,
आने की बाट निहार रहे हैं ।
सिर छिपा के कहाँ बैठे नटवर ,
ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर ।
ब्रजबाला व्याकुल रहती है ,
ग्वालों की टोली कहती है ।
कब आओगे कान्हा कुँवर बनकर ,
ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर ।
जिस बंसी ने प्रेमप्रकाश किया ,
रसदायक रास बिलास किया ।
बज जाए वही बंसी घर-घर ,
ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर ।
बिसरा दो इन्हें या सम्हालो इन्हें,
ठुकरा दो चाहे अपना लो इन्हें ,
दृग ‘बिन्दु’ हैं आपके पेशे नज़र ,
ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर ।
ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर ।
कुछ दीनों के दुःख की ले लो खबर ,
ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर ।
आरत जन तुमको पुकार रहे हैं ,
आने की बाट निहार रहे हैं ।
सिर छिपा के कहाँ बैठे नटवर ,
ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर ।
ब्रजबाला व्याकुल रहती है ,
ग्वालों की टोली कहती है ।
कब आओगे कान्हा कुँवर बनकर ,
ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर ।
जिस बंसी ने प्रेमप्रकाश किया ,
रसदायक रास बिलास किया ।
बज जाए वही बंसी घर-घर ,
ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर ।
बिसरा दो इन्हें या सम्हालो इन्हें,
ठुकरा दो चाहे अपना लो इन्हें ,
दृग ‘बिन्दु’ हैं आपके पेशे नज़र ,
ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर ।
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