कविता-भजन- प्रभो मुझको सेवक......


कविता-भजन-
प्रभो मुझको सेवक......

प्रभो मुझको सेवक बनाना पड़ेगा।
कुटिल पर कृपा भाव लाना पड़ेगा।
जिन-जिन का कष्ट तुमने प्रभो दूर कर दिया,
उन सब ने जहाँ में तुम्हें मशहूर कर दिया।
सोहरत सुनी तो दास भी दरबार में आया,
कुल दीन-दशाओं को भी नजराने में लाया।
बुरा हूँ भला हूँ या जैसा हूँ मैं,
गुलामी के पद पर बिठाना पड़ेगा॥
प्रभो...
चला भी मैं जाऊँ तो कुछ गम ना रहेगा,
कानून कृपामय का इसी से बदल गया,
जब दीनबंधु का दिवाला निकल गया।
जो है लाज रखनी तो दृग बिन्दुपर ही,
दया का खजाना लुटाना पड़ेगा॥
 प्रभो...

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