कुंडली में
वैधव्य योग.
वैधव्य योग.
यह योग समाज और परिवार के लिए अशुभ और पीड़ादायक योग है! ज्योतिष में सप्तम भाव का सम्बन्ध जीवन साथी से और अष्टम भाव आयु का माना गया है! इसलिये विवाह से पहले सुखद जीवन के लिये तीनो लग्न (लग्न, चन्द्र लग्न और शुक्र लग्न) अष्टम भाव को पापी ग्रह से मुक्त होना चाहिये!
1 - यदि द्वितीय व् सप्तम में पापी ग्रह हों तथा चन्द्र लग्न से त्रिक भाव में पापी ग्रह हों तो स्त्री विवाह के 8वें वर्ष में विधवा हो सकती है!
2 - यदि किसी कन्या की कुंडली में मंगल 8वें भाव में हो तो वह अवश्य ही विधवा होती है! आठवें भाव का मंगल सब से अधिक अशुभ होता है!
3 - सप्तम भाव में मंगल की राशि में (मेष-बृश्चिक) राहु दो पापी ग्रहों के साथ बैठा हो तो कन्या शीघ्र ही विधवा होती है!
4 - यदि कुंडली में सप्तमेश और अष्टमेश किसी पापी ग्रह के साथ त्रिक भाव में तो स्त्री शीघ्र विधवा होती है!
5 - सप्तम और अष्टम भाव में मंगल किसी पापी ग्रह के साथ हो तो स्त्री का पति दुर्घटना-अपघात-विस्फोट-रक्तपात या किसी अचानक घटना से मृत्यु होती है!
6 - सातवें भाव में केतु पापी ग्रह के साथ हो और मंगल अष्टम या द्वादश भाव में हो तो कन्या विधवा होती है!
7 - यदि लग्न-सप्तम व् अष्टम भाव में शनि-मंगल और राहु हो तो वधु विवाह के बाद शीघ्र विधवा हो जाती है!
8 - यदि लग्न और सप्तम में सूर्य व् मंगल आमने-सामने हो तो कन्या विधवा होती है!
9 - लग्न में शनि और उस से आठवें या 12वें भाव में मंगल हो तो स्त्री विधवा होती है!
10 - यदि सप्तम और अष्टम भाव में पाप प्रभाव हो और चन्द्र किसी त्रिक भाव में तो कन्या विवाह के आठवें वर्ष में विधवा होती है!
11 - यदि शुक्र के साथ मंगल तथा चन्द्र के साथ राहु हो तथा आठवें भाव में कोई पापी ग्रह हो तो कन्या विधवा होती है!
12 - सप्तमेश और अष्टमेश में भाव परिवर्तन हो अर्थात राशि परिवर्तन हो और पापी ग्रहों से दृष्ट हो तो कन्या ज़रूर विधवा होती है!
(Jai Inder Malik)
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