वार्तालाप.
यदि हमारी वाणी प्रभावपूर्ण है, तो यह दूसरों को स्वयं ही आकर्षित कर लेती है। दरअसल, बोलना एक कला है, जो कई बिगड़े तथा मुश्किल कामों को आसानी से हल कर देती है।
हम कैसे बोलें, जो दूसरों पर जादू कर दे? इसके लिए निम्न बातों पर ध्यान देना जरूरी है।
बात करते समय अपनी आवाज पर ध्यान देना जरूरी है, क्योंकि जरूरत से ज्यादा तेज या धीमा स्वर सुनने वाले के भीतर खीज पैदा कर सकता है।
बोलते समय जल्दबाजी न करें। इत्मनान से धीरे-धीरे बोलें, ताकि सुनने वाला आपकी बातों को सुन-समझ सके तथा उसमें रस ले सके। कहां कितना विराम देना है, इस बात का ध्यान रखें।
बोलते समय शब्दों के उच्चारण तथा व्याकरण पर भी ध्यान दें, क्योंकि गलत उच्चारण कभी-कभी शब्द का ही नहीं, पूरे वाक्य का ही अर्थ बदल डालता है।
बोलने से पहले स्पष्ट रूप से सोच लें कि आपको किस विषय पर बोलना है। और हां, बार-बार एक ही बात को दोहराना बातचीत का मजा किरकिरा कर सकता है।
अपनी बातों के साथ-साथ यदि आप किसी महान व्यक्ति के वाक्यों को कोट करते हैं या घटनाओं, कहानियों का उल्लेख करते हैं तो सुनने वाला कभी बोर नहीं होगा। उसकी रुचि आपमें बनी रहेगी।
होंठ ही नहीं, आंखें, हाथ तथा चेहरे के हाव-भाव भी हमारी बातचीत को जीवंत बनाते हैं। इसलिए बातों के दौरान इन पर भी गौर करना जरूरी है।
बात करते वक्त ऐसी हरकतें न करें, जो गलत प्रभाव छोड़ती हों। यानी ज्यादा ही ओवर एक्टिंग न करें।
कोशिश करें कि लोगों से मिलते या बात करते समय चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान बनी रहे। अपशब्द बीच में न आएं तथा बात करते वक्त सहज रहें।
अपनी आवाज पर भी विशेष ध्यान दें। कर्कश तथा भद्दी आवाज सुनने वाले के कानों में तकलीफ पहुंचाती है।
बात करते समय आपका सामान्य ज्ञान तथा समसामयिक विषयों की आपकी जानकारी, आपको आकर्षण का केंद्र बनाती है। ये जानकारियां आत्मविश्वास पैदा करती हैं।
हमेशा नजर मिलाकर बात करें, क्योंकि नजरें झुकाकर या इधर-उधर देखते हुए बात करना आपके भीतर आत्मविश्वास की कमी को प्रकट करता है।
(शशिकांत 'सदैव)'
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