प्रशासनिक सेवा में सफ़लता के ज्योतिषीय योग.


प्रशासनिक सेवा में सफ़लता के ज्योतिषीय योग.
कुंडली में ग्रहों से बनने वाले ज्योतिषीय योग ही जातक की आजीविका का क्षेत्र बताते हैं! आजकल अधिकाँश लोग प्रशासनिक सेवा से अपना कार्रियर बना कर सफलता पाना चाहते हैं! कुंडली में दूसरा-चतुर्थ -पंचम एवं नवम भाव व् भावेशों के बलि होने पर जातक को शिक्षा अच्छी मिलती है! शिक्षा का कारक ग्रह बुध्द-ब्रहस्पति और मंगल को बली होना चाहिये! इन ग्रहों का बली होना सफलता का कारक है! छटा, पहला व् दशम भाव और भावेश बली हों, तो प्रीतियोगी परीक्षा में सफलता मिलती है! सफलता के लिये एकाग्रता और पराक्रम चाहिये, इसलिये तृतीय और तृतीयेश का बली होना ज़रूरी हैं! सूर्य को राजा और गुरु को ज्ञान का कारक कहा गया है! यह दोनों ग्रह प्रशासनिक प्रतियोगितायों में सफलता और उच्च पद दिलाते हैं! जनता से अधिक वास्ता पड़ता है, इसलिये शनि का अधिक बली होना आवश्यक है! शनि जनता व् प्रशासनिक अधिकारियों के बीच की कड़ी है! मंगल को स्याही व् बुध को कलम कहा गया है! यदि यह बली हों तो जातक अपनी कलम का लोहा मनवाता हैं!

प्रशासनिक अधिकारी बन कर सफलता पाने के लिये सूर्य-बृहस्पति-मंगल-राहु और चन्द्र आदि ग्रह बली होने चाहिये! “मंगल’” से जातक में साहस और पराक्रम आता है, जो अत्यधिक महत्पूर्ण तथ्य है! सूर्य से नेतृत्व करने की क्षमता मिलती है! बृहस्पति से विवेक सम्मत निर्णय लेने की क्षमता मिलती है और चन्द्र से शालीनता आती है और मस्तिष्क स्थिर रहता हैं!



(जय इन्दर मलिक ज्योतिषाचार्य)

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