डाक्टर बनने के ज्योतिषीय योग.


डाक्टर बनने के ज्योतिषीय योग.
 
कुंडली में दूसरा व् पंचम भाव शिक्षा का है! दूसरे भाव से प्रारंभिक शिक्षा और पंचम भाव से उच्च शिक्षा का ज्ञान होता है! तकनीकी शिक्षा का कार्रियर के रूप में तभी संभव होगा, यदि पंचम भाव व् पंचमेश का सम्बन्ध दशम भाव से जितना अच्छा होगा, पर आजीविका के क्षेत्र में उतना अच्छा न माना जायेगा! इन दोनों भावो में स्थान परिवर्तन, राशि परिवर्तन, दृष्टि सम्बन्ध, या युति होनी चाहियें! यदि पंचमव दशम भाव के सम्बन्ध से बनने वाले योग 6 या 12 वें भाव में बन रहा हो तो जातक डाक्टर बन सकता है! रोग के लिए छटा भाव व् अस्पताल के लिये 12वां भाव होता है! धन और लाभ के लिये 2सरा व् 11वा भाव को भी देखना ज़रूरी है! यदि दशम भाव व् दशमेश का सम्बन्ध चौथे भाव से है, तो वह अपने पेशे में प्रसिध्दी पायेगा!

सफल डाक्टर बनने के लिये

डाक्टर के लिये मंगल का रोल ज़रूरी है! मंगल साहस चीड-फाड़ ओपरेशन आदि का कारक है! इस के साथ गुरु की भी कृपा चाहिये, इससे लाभ मिलता है! सफल डाक्टर के लिये बृहस्पति का लग्न, पंचम व दशम भाव से सम्बन्ध होना ज़रूरी है! कुंडली में चन्द्र का भी रोल होता है! चन्द्र को जड़ी-बूटी और मन का कारक मन गया है! चन्द्र यदि मज़बूत नहीं होगा तो डाक्टर द्वारा दवाई लाभ नहीं करेगी! सर्जनो की कुंडली में सूर्य व् मंगल का बली होना बहुत ज़रूरी है! सूर्य आत्म विश्वाश और उर्जा का कारक है!
कुंडली में मंगल बली हो अपनी राशि या मित्र की राशि में होकर, सूर्य चौथे भाव में बैठा हो तो जातक हार्ट सर्जन बनता है!

लग्न में मंगल स्व राशि या उच्च राशि का हो साथ में सूर्य भी मज़बूत हो तो जातक आर्थो सर्जन बनता है! लग्नेश बलवान हो कर नवम भाव में बैठा हो या नवमेश -दशमेश के साथ किसी भी प्रकार से अच्छा सम्बन्ध हो तो जातक डाक्टर बन कर विदेश में अच्छी ख्याति पाता है!

सूर्य व् गुरु के योग से जातक फिजीशीयन बनता है- 

शनि-राहु का योग जातक को डाक्टर बनाता है! शनि चिकिस्ता क्षेत्र में प्रवेश दिलवाता है यह लोह तत्व का कारक है! डाक्टर को अधिकतर लोहे के ओजारों की ज़रुरत होती है! यही शनि के साथ राहु की स्थिति होती है! शनि-राहु का योग शल्य चिकित्सक के रूप प्रसिद्ध करता है! सूर्य, शुक्र एवं बृहस्पति का योग मैटेरनीटी का डाक्टर बनाता है! अन्य योग भी हैं!

(साभार- श्री Jai Inder Malikजी).

कोई टिप्पणी नहीं: