शुभासित
1.
नकारात्मक तरीके से हटाई गई बाधा का फल, सकारात्मक रूप से फलीभूत नहीं होता।
2.
नीति, मर्यादा और धर्म का अधिकार, माँ-बाप या गुरु से भी बड़ा होता हैं। इसीलिए कहा गया हैं कि धर्म
की रक्षा करो।
3.
अगर कोई भी “तथ्य या बात” सिद्धांत से मेल नहीं खाती हों, तब वह स्वीकार योग्य नहीं हैं।
4.
बातचीत में खुद को
पता नहीं चलता; किन्तु सामने वाले को पता चल जाता हैं कि हम कितने खुश, विवेकवान, दुःखी और अवसाद ग्रस्त हैं।
5.
घमंड रूपी उन्माद जिस दिन उतर जायेंगा, उसी दिन से सरसता का नव-जीवन प्रारम्भ हो जायेगा।
6.
सज्जनों के वचनों में शंका और माँ के भोजन में शक कभी नहीं करना चाहिए।
7.
अनास्था की शिला पर धर्म का पौधा न तो रोपा जा सकता हैं और न ही
पल्लवित होता हैं।
8.
वह ज्ञान नहीं, बोझ हैं, जो यह माने कि जो कुछ हुआ, उसके वजह से हुआ या दूसरे किसी को कारण बताएं। ऐसी बातें तो
अज्ञानी ही करते हैं।
9.
सौगात में मिली चंद सांसों की औकात भूल, गुब्बारे सा गुरूर कर इतराना, न समझी और खुद को ही हानि पहुचाने वाली पृवत्ति हैं।
10.
वैभव, कुल और वंश के अनुसार व्यवहार तथा पोशाक धारण, करना चाहिए।
11.
मर्यादा का कभी उल्लघंन न करें। विद्वान और प्रबुध्द व्यक्ति समाज
के ‘रत्न’ होते हैं।
12.
सदाचार का व्यवहारिक आचरण, मानवीय कदाचरण को रोकने में समर्थ हैं।
13.
निर्धन व्यक्ति की हितकारी बातों पर भी कोई ध्यान नहीं देता।
अकर्मण्यता और अकुशलता ही निर्धनता का कारण हैं। पाखंड से अर्जित धन पापाचार हैं।
14.
चालाक और लोभी घनिष्टता बढ़ाने में माहिर होते हैं। इनसे दूरी बनाये रखना ही
हितकर होता हैं।
15.
विरोधी द्वारा किये जाने वाला स्नेहयुक्त व्यवहार को भी दोषयुक्त
समझना चाहिए।
16.
अनेक गुणों को मिट्टी में मिलाने के लिए सिर्फ एक दोष ही पर्याप्त
हैं।
17.
कामासक्त के पास धर्म और धन दोनों ही नहीं रहते।
18.
व्यसनी व्यक्ति लक्ष्य तक पहुचने के पहले ही रुक जाता हैं।
19.
निर्धारित कर्म निर्वहन में आलस्य और उदारता नहीं बरतना चाहिए।
20.
लोभी और कंजूस व्यक्ति से कुछ पाने की आशा करना, जुगनू से आग प्राप्त करने के समान हैं।
21.
वेशभूषा और वाक्य चातुरता से कोई भी किसी को हमेशा मूर्ख नहीं बना
सकता।
22.
पाखंड से बढ़कर कष्टदायक मृत्यु-पास भी नहीं माना गया हैं।
23.
आत्म-विनाश होते रहने का ज्ञान पाखंडी को नहीं हो पाता।
24.
मृत्यु भी, धर्म पर चलने वाले की सहायक हो जाती हैं।
25.
कर्म के प्रति अनुत्साही व्यक्ति का भविष्य अंधकारमय हो जाता हैं।
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