सुविचार-26


सुविचा
01.
ईश्वर सगुण (साकार) और निर्गुण (निराकार) दोनों हैं। नेत्रों से पूजे जाने वाला सगुण हैं और मन से पूजे जाने वाला निर्गुण हैं।
02.
धन रहते हुये तो मनुष्य संत बन सकता हैं, परन्तु धन की लालसा रहते हुये मनुष्य संतनहीं बन सकता।
03.
भोगवादी व्यक्ति को संयम-मूलक शिक्षा विरोधीजान पडती हैं।
04.
आवश्यकता और भोग में अंतर हैं। शरीर-रक्षा के लिए भोजन आवश्यक हैं। स्वाद के लिए भोजन भोगहैं। भोग व्यक्ति को लाचार बनाता हैं।

05.
घबराहट, चंचलता, अवसाद और विषाद में आदमी की बुध्दी एवं  स्थिरता साथ नहीं देती।
06.
संसार में स्वाधीनता का मूल्य होता हैं; किन्तु घर-परिवार में तो पराधीनता ही पनपती हैं।
07.
बिना विचारे कभी भी बोलना नहीं चाहिए क्योकि जो बिना विचारे बोलता हैं, उसकी बातें बिना सिर-पैर की हो जाती हैं।
08.
लोभीअपना स्वार्थ साधने के लिए प्रायः कुतर्क और असत्य का सहारा लेता हैं।
09.
अच्छी योजना बनाना बुद्धिमानी का काम है, पर उसको व्यवस्तिथ रूप से पूरा करना धैर्य और परिश्रम का।
10.
सच्चा कलाकार ही एक मात्र ऐसा मनुष्य हैं,  जो स्व-आनंद सहित दूसरों के भी आनंद के लिये काम करता हैं|
11.
ऐसे स्थान को छोड़ देना चाहिये जहां न आदर है, न जीविका, न मित्र, न परिवार और न ही ज्ञान की आशा।
12.
जब कोई विपत्ति या दुविधा में हो, तब सर्व प्रथम यह विचार अपने मन में लाना चाहिए कि जीवन में ऐसी अनेकों स्तिथियों का सामना हमने कर लिया है। इससे मन में दृढ़ता उत्पन्न होगी फिर उन पर धैर्य पूर्वक विचारने का काम करे।
13.
पिता के द्वारा डांटी गई सन्तान, गुरू के द्वारा डांटा गया शिष्य और सुनार के द्वारा पीटा गया सोना, ये सब अंत में "आभूषण" ही बनते हैं।
14.
ज़िन्दगी जीना हैं; तो कष्ट उठाना ही पड़ेगा, वरना मरने के बाद तो जलने का एहसास भी नहीं होता।
15.
धैर्य रखिये, जिन्दगी में जो भी होगा, चाहे विलम्ब से हो; किन्तु विस्मयकारी ही होगा।
16.
सरल मन से जियों पर मन में बारूद भर के मत जियों।
17.
”Impossible” को गौर से देखो, वो खुद कहता है; ”I m Possible”
बस, देखने का नजरिया बदल दो और नामुमकिन को मुमकिन करो
18.
माना दुनियाँँ बुरी है, सब जगह धोखा है; लेकिन हम तो अच्छे बनें,  हमें किसने रोका है?
19.
एकांत ऐसा स्वर्ण-अवसर हैं, जहाँ खुद से मिलन होता हैं।
20.
जो सम्बन्ध बिना विश्वास के बनते हैं; वे ही धोके में ख़तम होते हैं।
21.
जब तक गरीब थे, मिलजुल कर एक छप्पर के नीचे सोते थे; किन्तु जैसे ही अमीरी आई, हरेक का मकान अलग-अलग होने लगा।
22.
अपनों से नाराजगी इतने वक़्त तक न रखो; कि वो तुम्हारे बगैर ही जीना सीख जाए।
23.
तत्काल फायदा देखने से पहले; दूर का नुकसान भी सोच लेना चाहिए।
24.
मेहनत करके हारना;  मेहनत से मत हारना।
25.
कष्टों की खरोच से मत डरों; जिन्दगी को तरासने का काम समय कर रहा हैं हैं।
26.
जहाँ लोग अपनी ही गलती नहीं मानते; आपको वहाँ अपना कैसे मानेंगें?

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