शुभासित-25


शुभासि

1. कड़ी धूप से व्याकुल व्यक्ति को जब छांव का सहारा मिलता हैं, तब उसे राहत औऱ आनंद की अनुभूति होती हैं; उसी प्रकार अथक परिश्रम से उपलब्ध सफलता व्यक्ति को राहत और आनंद की अनुभूति कराती हैं। 

2. जो कर्म के परिणाम जैसे हानि, हिंसा और सामर्थ्य को बिना विचारे केवल अज्ञान वश आरंभ कर दिए जाते हैं, वे ही तामसी कर्म माने गये हैं। 

3. जीवन में काम, क्रोध, मोह के आने से ज्ञान और वैराग्य चला जाता हैं।


4. सत्यता के मार्ग पर चलने से परेशानी तो अवश्य हैं; किन्तु अपमानित नहीं होना पड़ता।

5. मोह में पड़े रहने से मोहनके दर्शन नहीं होते।


6. मन को रोकने का प्रयास, वायु को पकड़ने जैसा काम हैं। उसे तो सिर्फ योग से ही नियंत्रित किया जा सकता हैं।

7. आत्म-ज्ञान हो जाने के पश्चात वैराग्य स्वमेव उत्पन्न होता हैं।

8. अभाव, स्वभाव औऱ प्रभाव के कारण लिया गया वैराग्य सफल नहीं होता हैं। 

9. अहिंसा और करुणा समाज को खुशहाल बनाती हैं। 

10. नया सीखना हमेशा लाभप्रद होता हैं। वह कभी न कभी अवश्य काम आता हैं।

11. अपने काम में कुशलता पूर्वक लगें रहों, सफलता मिलके रहेंगी।

 12. हर दिन को ऐसे जियो, जैसे यह जीवन का आखिरी दिन हो। इससे कार्य के प्रति जागृति पैदा होती हैं। 

13. लोगो का उजला पक्ष देखने की आदत विकसित किजीये| इससे आपके व्यक्तित्व की अच्छाइयाँ विकसित होंगीं और संसार में प्रेम, सहिष्णुता, तथा सदभाव का प्रचार होगा| 

14. “दोस्ती”, प्रेम में तो बदल सकती हैं; किन्तु प्रेमकभी दोस्ती में नहीं बदल सकता। 

15. स्याही के एक बूंद की लिखावट पर लाखों लोग सोचने पर विवश हो जाते हैं, इसलिये बिना अनुभव या समझ के नहीं लिखना चाहिये। 

16. अपने हितों की रक्षा के लिए हम स्वत: ही उत्तरदायी हैं; दूसरा कोई इसमें भागीदारी नहीं निभा सकता। 

17. महानता तो कर्मो और संस्कार से आती हैं; अन्यथा सामान्य जीवन तो पशु-पक्षी भी जी लेते हैं। 

18. आलसी और दुराग्रही व्यक्तियों के लिए ईश्वरअवतार नहीं लेते; वे तो उद्योगशील और सत्कर्मी व्यक्तियों के लिए ही अवतरित होते हैं और उनका ही सहयोग करते हैं। 

19. गुणी पुरुष ही दुसरे के गुण पहचानता है, गुणहीन पुरुष नही। बलवान पुरुष ही दुसरे का बल जानता है, बलहीन नही। वसन्त ऋतु आए तो उसे कोयल पहचानती है, कौआ नही। शेर के बल को हाथी पहचानता है, चुहा नही। 

20. जिस प्रकार आकाश से गिरा जल विविध नदीयों के माध्यम से अंतिमत: सागर से जा मिलता है, उसी प्रकार सभी देवताओं को किया हुआ नमन, एक ही परमेश्वर को प्राप्त होता है। 

21. जिस प्रकार विविध रंग रूप की गायें एक ही रंग का (सफेद) दूध देती है, उसी प्रकार विविध धर्मपंथ एक ही तत्त्व की सीख देते है। 

22. कलह पर विजय पाने का सबसे बढ़िया अस्त्र मौन है। जहाँ विवाद बढ़ता चला जा रहा हो, वहां चुप हो जाओ, फिर नतीजे देखो। विवाद समाप्त होने में देर नहीं लगेगी। 

23. हर इंसान अपने जीवन में लक्ष्य की ऊँचाइयाँ छू सकता है, शर्त यही है कि उसने स्वंय को सीमित न कर लिया हो और वह सीखने तथा श्रम के लिए उद्यमशील रहें। 

24. “आजादीवह कीमती मिटटी है, जिसमें खुशहाली और तरक्की की फसल भरपूर होती है। देश के विकास हेतु स्वतंत्रता और एकता बहुत जरूरी हैं। 

25.इंसान मकान बदलता है, वस्त्र बदलता है, सम्बंध बदलता है, फिर भी दु:खी रहता है; क्योंकि…”वह अपना स्वभाव और सोच नहीं बदलता

कोई टिप्पणी नहीं: