सुविचार-32


सुविचा
01.
आदर्शवादी-साहस की ही प्रशंसा होती है।
02.
संसार में सभी रोगी है, कोई तन का, कोई मन का, कोई धन का।
03.
ईश्वर की फिकर करते रहने से जीवन बेफिकर हो जाता हैं
04.
जिस दिन आप अपने अंदर संकल्प शक्ति को जगा लेंगे, उस दिन से अपने अंदर के एक-एक दोष एवँ कमजोरी को बाहर फेंकना शुरू कर देंगे।
05.
असफलता के ताने-बाने बुनते हुए, कभी भी सफलता प्राप्त नहीं कर सकते
06.
विफलता एक घटना हैं, अपनी ही किसी चूक का प्रतिफल और आगे के लिए सजगता का सन्देश
07.
कुछ लोग गलतियाँ और दोष ढूढने में इतने तल्लीन रहते हैं, मानों इस काम का पुरुष्कार मिलता हो
08.
एक-ऐसा शब्द जो लिखा गलत जाता हैं, बोला गलत जाता हैं और समझा भी गलत जाता हैं, वह हैं “गलत”
09.
बहुत देखते हो दूसरों के गुण-दोष, जरा अपने अंदर झांक लो, उड़ जायेंगे होश
10.
मन की इच्छायें श्रेष्ठ कर्म में बाधक हो जाया करती हैं; इसीलिए कहा गया हैं कि इच्छा रहित होकर कर्म करना चाहिए
11.
गंभीरता धारण कीजिये क्योकि सतही बाते मूल्यवान नहीं होती
12.
साझा की हुई ख़ुशी दुगनी होती हैं और साझा किया गया दुःख आधा होता हैं
13.
मननशील के लिए उसका कर्तव्य-मार्ग सदा प्रशस्त रहता हैं
14.
आदर्शों में आस्था रखने से ही काम नहीं चलता, आदर्शों पर चलना भी जरुरी है।
15.
जिसको अन्धकार समझ में आता हैं, वहीं प्रकाश के लिए प्रयास करता हैं
16.
मुर्ख व्यक्ति के लिए किताबे बिलकुल वैसी ही हैं, जैसे अंधे व्यक्ति के आईना होता हैं
17.
अज्ञानी होना शर्म की बात नहीं हैं. सीखने के लिए तैयार न होना “शर्म” की बात हैं
18.
एक इच्छा कुछ नहीं बदलती, एक निर्णय कुछ बदलता है, लेकिन एक निश्चय सब कुछ बदल देता है।
19.
जिस प्रकार एक पहिए वाले रथ की गति संभव नहीं है, उसी प्रकार पुरुषार्थ के बिना केवल भाग्य से कार्य सिद्ध नहीं होते।
20.
असफलता को मार्ग का एक मोड़ समझना चाहिए, ना की यात्रा की समाप्ति।

21.
संघर्ष प्रकृति का “आमंत्रण” है जो स्वीकार करता है, वही आगे भी बढ़ता है।
22.
जिंदगी की किताब में, धैर्य के कवर का होना बहुत जरुरी है; क्योंकि बांध के रखता हैं-वो, हर पृष्ठ को।
23.
कोई भी लक्ष्य, साहसी मनुष्य के सामने बौना हैं।
25.
जो व्यक्ति अपनी गलतियों के लिए खुद से लड़ता है, उसे कोई भी हरा नहीं सकता।
26.
दुनिया की हर चीज ठोकर खाने से टूट जाती है, एक कामयाबी ही हैं, जो ठोकर खाकर मिलती है ।
27.
कोशिश आखिरी साँस तक करनी चाहिए, मंजिल मिले या तजुर्बा, दोनों चीजे ही नायाब हैं।
28.
निराशावादी को हर अवसर में कठिनाई दिखाई देती है, और आशावादी को हर कठिनाई में अवसर दिखाई देता है।
29.
जीवन में सफल होने के लिए चाहिए; लक्ष्य, आत्म-विश्वाश और सतत क्रियाशीलता।
30.
जीवन के विशाल भण्डार में व्यर्थ और बेकार की सामग्री एकत्र नहीं करनी चाहिए।
31.
आँखे बंद कर लेने से मुसीबत का अंत नहीं होता;  क्योकि मुसीबत तो आँखें खोलने की लिए आती हैं।
32.
निराशा का फंदा बेहद सख्त होता है, पर ऐसा नहीं कि इससे निकला ही न जा सके। सकारात्मक विचार और क्रियाशीलता  को अपनायें, निराशा का फंदा स्वत: ही खुल जाएगा।

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