मायावी गिनतियां. (रोचक कथा)
(जीशान जैदी)
भाग-12
भाग-11 से लगातार.... जब सम्राट प्रिंसिपल के रूम में दाखिल हुआ तो वहाँ अग्रवाल सर पहले से मौजूद थे।
‘‘आओ सुनील कुमार!’’ प्रिंसिपल ने बड़े प्यार से सनी को बुलाया। सनी बना सम्राट आगे बढ़ा।
‘‘मुझे यह सुनकर खुशी हुई कि तुमने अग्रवाल सर को चैलेंज किया है कि तुम इन्हें गणित में हरा सकते हो।’’ प्रिंसिपल भाटिया ने अग्रवाल सर की ओर देखकर कहा। अग्रवाल सर सनी को व्यंगात्मक तरीके से देख रहे थे।
‘‘मैंने!’’ हैरत से सम्राट ने कहा। फिर तुरंत ही मामला उसकी समझ में आ गया। यानि गगन वगैरा ने अग्रवाल सर और प्रिंसिपल के कान भरे थे।
‘‘चलो अच्छा है। इससे मेरा ही मकसद हल होगा।’’ उसने सोचा।
‘‘जवाब दो सुनील कुमार।’’ प्रिंसिपल भाटिया ने उसे टोका।
‘‘मेरे दिल ने कहा था, इसलिए मैंने ऐसा चैलेंज किया।’’ सनी ने जवाब दिया।
अग्रवाल सर का चेहरा तपते लोहे की तरह लाल हो गया जबकि मैडम भाटिया अपनी कुर्सी से गिरते गिरते बचीं।
‘‘मैं इसका चैलेंज कुबूल करता हूँ।’’ अग्रवाल सर ने भर्राई आवाज में कहा, ‘‘लेकिन मेरी एक शर्त है।’’
‘‘कैसी शर्त?’’ प्रिंसिपल ने पूछा।
‘‘अगर ये सवाल नहीं हल कर पाया तो स्कूल के पीछे बह रहे गन्दे नाले में इसे डुबकी लगानी पड़ेगी।’’
‘‘यह तो बहुत सख्त सजा है अग्रवाल जी...!’’ प्रिंसिपल ने कहना चाहा किन्तु सनी बने सम्राट ने बीच में बात काट दी, ‘‘मुझे शर्त मंजूर है।’’
‘‘ठीक है। मैं क्वेष्चन पेपर सेट करता हूँ।’’ अग्रवाल सर उठ खड़े हुए।
‘‘यह तुमने क्या किया सनी! माना कि तुम मैथ में तेज हो गये हो। लेकिन इतने भी नहीं कि अग्रवाल सर को चैलेंज कर दो। वो अपने जमाने के गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं।’’ नेहा इस समय सनी से बात कर रही थी।
‘‘देखा जायेगा।’’ लापरवाही के साथ कहा सनी बने सम्राट ने।
‘‘सोचता हूँ, पीछे के नाले में एकाध बाल्टी सेन्ट डलवा दूं।’’ अचानक पीछे से एक आवाज उभरी। दोनों ने चौंक कर देखा गगन, अमित और सुहेल की तिकड़ी थोड़ी दूर पर मौजूद थी। यह जुमला अमित ने कहा था।
‘‘हाँ। वरना कोई बेचारा बदबू से मर जायेगा।’’ सुहेल ने जवाब दिया था।
‘‘चलो यहाँ से चलते हैं।’’ नेहा ने सनी का हाथ पकड़कर कहा। दोनों वहाँ से चलने को हुए। उसी समय गगन ने सामने आकर उनका रास्ता रोक लिया।
‘‘हाय नेहा!’’ उसने नेहा को मुखातिब किया।
‘‘हाय!’’ बोर अंदाज में जवाब दिया नेहा ने।
‘‘क्या बात है। आजकल तो लिफ्ट ही नहीं दे रही हो।’’ गगन ने शिकायत की।
‘‘लिफ्ट खराब हो गयी है। तुम सीढ़ियों का इस्तेमाल कर सकते हो।’’ गंभीर स्वर में नेहा ने जुमला उछाला। आसपास मौजूद दूसरे लड़कों ने मुस्कुराहट छुपाने के लिए अपने मुंह पर हाथ रख लिए।
गगन कोई सख्त जुमला कहने जा रहा था। उसी समय मिसेज कपूर उधर से गुजरने लगीं। फिर इन लड़कों को भीड़ लगाये हुए देखा तो टोक भी दिया, ‘‘ऐ तुम लोगों ने यहाँ भीड़ क्यों लगा रखी है। जाओ अपनी क्लास में।’’
‘‘मैडम, आज आपके पास बहुत देर से फोन नहीं आया।’’ अमित ने टोक दिया। मिसेज कपूर इतिहास की शिक्षक थीं और मोबाइल पर बात करने के लिए बदनाम थीं। रांग नंबर भी लगता था तो फोन पर ही उसका पूरा इतिहास खंगाल डालती थीं।
‘‘क्या बताऊं।’’ मिसेज कपूर के चेहरे से उदासी झलकने लगी, ‘‘मेरे पास एक हथौड़ा है जिससे महान स्वतन्त्रता सेनानी चन्द्रशेखर आजाद ने अपनी बेड़ियां तोड़ी थीं। यह उस जमाने की बात है, जब वह अंग्रेजों की जेल तोड़कर फरार हुए थे...।’’
‘‘मैडम मोबाइल की बात...।’’ सुहेल ने बीच में टोका।
‘‘वही बता रही हूँ नालायक।’’ मैडम कपूर ने उसे घूरा, ‘‘आज सुबह की बात है। मेरे भांजे ने वही हथौड़ा मेरी सेफ से निकाल लिया, और मेरे मोबाइल को उससे पीट डाला। तभी से उसकी आवाज गायब हो गयी है।’’ मैडम कपूर पर्स से मोबाइल निकालकर सबको दिखाने लगी।
‘‘मैं देखता हूँ।’’ सनी बने सम्राट ने मैडम कपूर के हाथ से मोबाइल ले लिया और उसे खोल डाला।
‘‘क्या करता है, बे। क्या मैडम के फोन को कब्र में पहुंचा देगा।’’ सुहेल ने सनी को आँखें दिखाईं। मिसेज कपूर भी सकपका गयी थीं।
लेकिन इन सब से बेपरवाह सनी ने जेब से पेन निकाला और उसकी निब से मोबाइल के सर्किट से छेड़छाड़ करने लगा। चार पाँच सेकंड बाद उसने मोबाइल बन्द करके मिसेज कपूर की ओर बढ़ा दिया।
‘‘मोबाइल ठीक हो गया।’’
‘‘क्या!’’ मिसेज कपूर के साथ साथ वहाँ मौजूद सारे लड़के उछल पड़े।
मिसेज कपूर ने जल्दी जल्दी अपने फोन को चेक किया।
‘‘ये तो चमत्कार हो गया। मेरा फोन बिल्कुल ठीक हो गया। जियो मेरे लाल।’’ मिसेज कपूर ने तड़ाक से सनी के गालों पर एक चुंबन जड़ दिया और सनी मुंह बनाकर अपना गाल सहलाने लगा।
‘‘कमाल है, हमें पता ही नहीं था कि ये लल्लू मैकेनिक भी है।’’ मिसेज कपूर के आगे बढ़ने के बाद अमित बोला।
इसके बाद वहां की भीड़ तितर बितर हो गयी, क्योंकि उन्होंने देख लिया था कि प्रिंसिपल मैडम भाटिया राउंड पर निकल चुकी हैं।
क्रमशः
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