मायावी गिनतियां. (रोचक कथा) (जीशान जैदी) भाग-8


मायावी गिनतियां.  (रोचक कथा)
(जीशान जैदी)
भाग-8
भाग-7 से लगातार....

जबकि बन्दर बने असली सनी ने भरपेट खाना खा लिया था और अब उसे नींद आ रही थी।

‘‘लगता है तुम काफी थक गये हो और अब तुम्हें नींद आ रही है।’’ मिसेज वर्मा ने उसकी तरफ देखा। सनी ने सहमति में सर हिलाया।

‘‘मेरे साथ आओ। मैं तुम्हारे सोने का इंतिजाम कर देती हूं।’’

मिसेज वर्मा ने किचन से बाहर जाने के लिये कदम बढ़ाया। सनी उसके पीछे पीछे हो लिया। उसे देखकर सुखद आश्चर्य हुआ कि वह उसे सनी के यानि उसी के कमरे की तरफ ले जा रही थी।

‘‘तो क्या मम्मी ने उसे पहचान लिया है? हो सकता है। भला कौन मां होगी जो अपने लाल को नहीं पहचानेगी।’’ वह खुशी खुशी उसके पीछे बढ़ने लगा। उसकी मम्मी सनी के कमरे के दरवाजे पर पहुंच गयी।

लेकिन वहां न रुककर वह आगे बढ़ गयी। और एक छोटे से खुले स्थान के पास जाकर खड़ी हो गयी, जो सनी के कमरे की बगल में मौजूद था। यहां एक पाइप था जो छत की तरफ गया हुआ था। उस पाइप से बरसात के मौसम में छत का गंदा पानी नीचे बहता था।

‘‘तुम यहां आराम करो। मैं जाती हूं। कुछ और काम निपटाना है।’’ उसकी मम्मी वहाँ इशारा करके वहां से चली गयी और वह हसरत से उस छोटी सी गंदी जगह को घूरने लगा। उसके कमरे की एक खिड़की उसी तरफ खुलती थी और वह अक्सर उसका इस्तेमाल थूकने के लिए करता था। अब इस जगंह को आराम के लिए इस्तेमाल करना, उसे सोचकर ही उबकाई आ गयी।

लेकिन मरता क्या न करता। और कोई चारा ही न था। वह वहीं एक कोने में पसर गया। और कहते हैं नींद तो फांसी के तख्ते पर भी आ जाती है, सो उसे भी थोड़ी ही देर में आ गयी।

सनी बना सम्राट प्रिंसिपल के आफिस में दाखिल हुआ। प्रिंसिपल ने सर उठाकर उसकी तरफ देखा।

‘‘क्या बात है सुनील कुमार?’’ प्रिंसिपल ने पूछा।

‘‘मैडम मैं आपसे एक रिक्वेस्ट करना चाहता हूं।’’

‘‘लगता है तुम अग्रवाल सर की शिकायत लेकर आये हो। मैं जानती हूं कि वो तुम्हारे साथ बहुत ज्यादती कर रहे हैं। और तुम्हें परेशान कर रहे हैं। लेकिन तुम घबराओ मत। मैं बहुत जल्दी उन्हें हटाने वाली हूं। नये गणित के टीचर की वैकेन्सी अखबार में दे दी गयी है। जैसे ही कोई नया टीचर आयेगा, उन्हें हम हटा देंगे।’’

‘‘मैडम, मुझे अग्रवाल सर से कोई शिकायत नहीं। मुझे तो इस दुनिया के किसी जीव से कोई शिकायत नहीं।’’ सनी की बात पर प्रिंसिपल मैडम ने हड़बड़ा कर उसकी तरफ देखा, इस समय वह कोई बहुत ही पहुंचा हुआ सन्यासी लग रहा था। बल्कि एक अजीब सी रोशनी उसके चेहरे के चारों तरफ फैली हुई थी।

‘‘क्या बात है सुनील कुमार? आज तुम कुछ बदले बदले दिखाई दे रहे हो।’’

‘‘हाँ मैडम। मैं वाकई बदल गया हूं। मैं क्यों बदला हूं, यही बताने के लिए मैं आपके पास आया हूं।’’

‘‘तो फिर बताओ। ये सुनने के लिए मैं बेचैन हूं।’’

‘‘यहाँ पर नहीं मैडम। ये बात मैं पूरी दुनिया के सामने बताना चाहता हूं और उससे पहले पूरे स्कूल के सामने। आप प्लीज पूरे स्कूल में नोटिस निकलवा दीजिए कि सनी उन्हें कुछ खास बताना चाहता है।’’

‘‘ठीक है नोटिस निकल जायेगा।’’ मैडम सनी से कुछ ज्यादा ही इम्प्रेस हो चुकी थी इसलिए उसकी हर बात बिना चूँ चा के मान रही थी, ‘‘मैं आज ही एनाउंस कर देती हूं कि कल की प्रेयर में सबको हाजिर होना अनिवार्य है। प्रेयर के बाद तुम अपनी बात उनके सामने रख देना।’’

‘‘ठीक है मैडम। जो बात मैं कहना चाहता हूं। उसके लिए प्रेयर के बाद का समय ही सबसे अच्छा है।’’ सनी मैडम को अपनी पहेली में उलझाकर बाहर निकल गया।

क्रमशः

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